नयी दिल्ली, 23 जनवरी (वार्ता)। एमनेस्टी इंडिया द्वारा 11 लाख से अधिक ट्वीट के अध्ययन से पता चला है कि महिला राजनेता भी ट्विटर पर अक्सर अवांछित एवं अपमानजनक भाषा की शिकार होती हैं।
एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया ने एमनेस्टी इंटरनेशनल-अंतरराष्ट्रीय सचिवालय (एआई-आईएस) के सहयोग से यह अध्ययन भारत में महिला राजनेताओं के साथ ऑनलाइन दुर्व्यवहार के स्वरूप और पैमाने को मापने के लिए किया। अध्ययन में यह पाया गया कि जो महिलायें अपनी राय ऑनलाइन व्यक्त करती हैं, उन्हें लिंग, धर्म, जाति, वैवाहिक स्थिति और कई अन्य पहचानों–के लिए भी अभद्र भाषा झेलनी पड़ती है।
एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया के कार्यकारी निदेशक अविनाश कुमार के अनुसार अध्ययन में भारत में 2019 के आम चुनावों के पहले और उसके दौरान तथा उसके बाद मार्च-मई 2019 तक की तीन महीने की अवधि में 95 भारतीय महिला राजनेताओं का उल्लेख करते हुए 114,716 ट्वीट का विश्लेषण किया गया। अध्ययन में वैचारिक इंद्रधनुष के सभी रंगों के राजनीतिक विचारों का प्रतिनिधित्व करने वाली महिला राजनेताओं को शामिल किया गया था। ट्वीट में किये गये उल्लेखों का बारीक विश्लेषण हमारी माइक्रोसाइट ‘ट्रोल पेट्रोल इंडिया’ के माध्यम से 82 देशों के 1,900 से अधिक डिजिटल वालंटियरों की मदद से किया गया जिनमें से 1,095 डिजिटल वालंटियर भारत से थे।
विश्लेषण में पाया गया कि अध्ययन में शामिल 95 महिला राजनेताओं का उल्लेख करने वाले 13.8 प्रतिशत ट्वीट या तो अवांछित थे या ‘अपमान-जनक’ थे। इसका अर्थ हुआ कि इन सभी महिलाओं ने हर रोज़ कुल मिलाकर 10,000 से अधिक अवांछित या अपमान-जनक ट्वीट का सामना किया। अध्ययन में उन ट्वीट को समस्यायुक्त सामग्री के रूप में परिभाषित किया गया है जिसमें चोट पहुँचाने वाली या शत्रुतापूर्ण बातें कही गयी हों, खासकर अगर उसे कई बार दोहराया गया हो लेकिन उनकी तीव्रता दुर्व्यवहार की सीमा रेखा के अंदर हो।
यह भी पाया गया कि मुसलमान महिला राजनेताओं को अन्य धर्मों की महिला राजनेताओं की तुलना में 94.1 फीसदी अधिक नस्लवादी या धार्मिक अभद्र भाषा का सामना करना पड़ा। सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के अलावा अन्य राजनीतिक दलों की महिला राजनेताओं ने भी तुलनात्मक रूप से अधिक दुर्व्यवहार का सामना किया गया।
भारत में महिला राजनेताओं के साथ ट्विटर पर दुर्व्यवहार :एमनेस्टी