CAA: सीएए के विरोध में मुस्लिम महिलाओं ने बदली धारणा

CAA: सीएए के विरोध में मुस्लिम महिलाओं ने बदली धारणा


सीएस राजपूत


CAA सीएए के विरोध में मुसलिम महिलाएं घर की चौखट को लांघ कर सड़क पर आ डटी हैं। इसलिए यह धारणा बदल रही है कि मुसलिम महिलाओं को घर से बाहर निकलने की आजादी नहीं होती।


CAA सीएए के विरुद्ध महिलाओं की हुंकार से सरकार लाचार
एक विशेष तबके की धारणा है कि मुसलिम महिलाओं को घर से बाहर निकलने की पूरी आजादी नहीं है। महिलाओं को पर्दे में रहने की सख्त हिदायत होती है पर जिस तरह से सीएए के विरोध में मुस्लिम महिलाओं ने हुंकार भरी है, उससे लोगों को अपनी बदलनी पड़ी है।


इन महिलाओं ने घर की चौखट लांघकर इंकलाब का जो नारा बुलंद किया है, उससे केंद्र सरकार की चूलें हिल गई हैं। इन महिलाओं ने धर्म के आधार पर लाए गए सीएए के विरोध में गजब का माहौल बनाया है। भले ही मुस्लिम समाज के पुरुष देश में फैली अराजकता के खिलाफ पूरी तरह से खड़े न हो पा रहे हों। महिलाओं ने तो मोर्चा संभाल लिया है।


CAA सीएए का विरोध विदेशों में भी बना मिसाल
वैसे तो देश में लगभग सभी जिलों में मुस्लिम महिलाएं सीएए के विरोध में आंदोलन पर हैं पर दिल्ली में शाहीन बाग, खुरेजी तो उत्तर प्रदेश में प्रयागराज, कानपुर और बिहार के पटना में महिलाएं अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गई हैं। मुस्लिम महिलाओं ने सीएए के विरोध में जिस तरह से अपनी आवाज बुलंद की है, यह न केवल देश बल्कि विदेश के लिए भी एक मिसाल बन गई है।


शाहीन बाग में तो इन महिलाओं ने आपस में एक-दूसरे की सहमति से शिफ्ट बांध ली और रात-दिन धरना स्थल पर बैठकर आवाज बुलंद कर रही हैं। आंदोलन की बड़ी विशेषता यह है कि इसमें कोई नेता नहीं है, कोई संगठन नहीं है बस सब आंदोलनकारी हैं। आंदोलन को हर वर्ग का समर्थन तो मिल रहा है, लेकिन किसी संगठन को अपना एजेंडा घुसेड़ने की अनुमति नहीं मिल रही है।


CAA सीएए विरोधी आंदोलन में कुरान पाठ के साथ यज्ञ भी
आंदोलन में जहां यज्ञ हो रहे हैं वहीं कुरान भी पढ़ी जा रही है। गंगा-जमुनी तहजीब की एक मिसाल बन रहा यह आंदोलन न केवल देश बल्कि विदेश के भी मीडिया को आकर्षित कर रहा है। भले ही भाजपा का मीडिया सेल आंदोलन को कांग्रेस प्रायोजित बता रहा हो पर मीडिया और सोशल मीडिया में मुस्लिम महिलाओं के इस आंदोलन ने अपनी अलग पहचान बना ली है।


शाहीन बाग का धरना देश की दूसरी महिलाओं के लिए प्रेरणा का काम कर रहा है। यह आंदोलन जहां महिलाओं को अपने हक की आवाज बुलंद करने के लिए एक संदेश दे रहा है तो समझौते पर समझौता किए जा रहे समाज के लिए भी ऊर्जा काम कर रहा है। अब खुरेजी में भी महिलाओं ने मोर्चा संभाल लिया है। इन महिला आंदोलनकारियों के सामने शासन-प्रशासन के सभी हथकंडे फेल हो रहे हैं।


CAA सीएए के विरोध में तिरंगा भी ओढ़ लिया
शाहीन बाग में बैठी महिलाएं यह कहती सुनी जा रही हैं कि वे तो तिरंगे को ओढ़कर बैठ गई हैं। अब जो भी होगा देखा जाएगा पर वे धरने से तभी उठेंगी जब सीएए वापस हो जाएगा। ऐसे ही खुरेजी के आंदोलन में महिलाएं यह कहते सुनी जा रही हैं कि हम महिलाएं पर्दे से संविधान बचाने की लड़ाई लड़ने के लिए बाहर निकल आई हैं।


हम महिलाएं धर्म के आधार पर नागरिकता निर्धारित करने वाले किसी भी कानून को किसी भी कीमत पर लागू नहीं होने देंगी। महिलाओं के इस आंदोलन में एक बड़ी खूबी यह भी है कि इसमें छोटे-छोटे बच्चों के साथ बूढ़ी महिलाओं ने भी मोर्चा संभाल रखा है।


शाहीन बाग से मिली प्रेरणा
ऐसा नहीं है कि दिल्ली में ही महिलाएं आंदोलन पर हैं। बिहार में पटना सब्जी मंडी में भी महिलाएं बेमियादी धरने पर हैं तो उत्तर प्रदेश में कानपुर और प्रयागराज में बेमियादी धरना चल रहा है। यह बात दूसरी है कि इन सबको प्रेरणा शाहीन बाग धरने से मिल रही है।


चाहे, दिल्ली में शाहीन बाग का धरना हो, खुरेजी का धरना हो या देश के दूसरे शहरों का। हर जगह एक ही मांग है कि एनआरसी, एनपीआर वापस लिया जाए। यह तब भी हो रहा है जब इन महिलाओं को भाजपा ने समझाने के लिए अपने सिपहसालार लगा रखे हैं।


दिल्ली के खुरेजी आंदोलन मेंं छात्रा मरियम बताती हैं, एक दिन मेरी एसएसटी की टीचर ने क्लास में कहा था कि मुस्लिम लोगों को सीएए, एनआरसी का विरोध नहीं करना चाहिए। कुछ भी हो, देश में मुस्लिम महिलाओं ने अपने हक में जो आवाज बुलंद की है, वह देश की दूसरी महिलाओं के लिए भी प्रेरणास्रोत बन रही है।


CAA संक्षिप्त सार
मुसलिम महिलाएं जिस प्रकार अपने घर की चौखट लांघ कर आंदोलन की राह पर निकल चुकी हैं, उससे सरकार सकते में आ गई है। आंदोलन स्थल पर कुरान पाठ के साथ यज्ञ भी किए जाने से साफ हो गया है कि समाज का एक बड़ा तबका सीएए के विरोध में है।