लोकतांत्रिक प्रक्रिया से लिये गये निर्णयों को मानना जरूरी: कोविंद

नयी दिल्ली, 31 जनवरी (वार्ता)। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर हो रहे विरोध पर सवाल उठाते हुए कहा है कि संविधान के तहत लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं से लिये गये निर्णयों को मानना जरूरी है।
संसद के बजट सत्र के पहले दिन शुक्रवार को श्री कोविंद ने दोनों सदनों के संयुक्त अधिवेशन में अपने अभिभाषण में कहा , “ संविधान देश के प्रत्येक नागरिक के अधिकारों की रक्षा के साथ ही, देश के नागरिकों को उनके कर्तव्यों का बोध भी कराता है। हमारा संविधान, लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं से हुए निर्णयों को देशवासियों द्वारा स्वीकार किये जाने की अपेक्षा भी रखता है। ”
राष्ट्रपति ने कहा ,“ हमें यह हमेशा याद रखना चाहिए कि किसी भी विचारधारा के नेता या समर्थक होने से पहले हम देश के नागरिक हैं। हमारे देश की प्रतिष्ठा हमारी दलीय प्रतिबद्धताओं से कहीं बढ़कर है।” रामजन्म भूमि के बारे में उच्चतम न्यायालय के फैसले पर देशवासियों के व्यवहार की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं पर विश्वास से लोकतंत्र की नींव मजबूत होती है। उन्होंने कहा कि पारस्परिक चर्चा-परिचर्चा तथा वाद-विवाद लोकतंत्र को और सशक्त बनाते हैं। वहीं विरोध के नाम पर किसी भी तरह की हिंसा, समाज और देश को कमजोर करती है।
श्री कोविंद ने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून से राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और राष्ट्र निर्माताओं की इच्छा पूरी हुई है। उन्होंने कहा कि विभाजन के बाद बने माहौल में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने कहा था “पाकिस्तान के हिंदू और सिख, जो वहां नहीं रहना चाहते, वे भारत आ सकते हैं। उन्हें सामान्य जीवन मुहैया कराना भारत सरकार का कर्तव्य है।” राष्ट्रपति ने कहा उन्हें प्रसन्नता है कि संसद के दोनों सदनों द्वारा नागरिकता संशोधन कानून बनाकर, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की इच्छा को पूरा किया गया है। उन्होंने कहा , “ विशेषकर ऐसे समय में जब देश गांधी जी की 150वीं जयंती का पर्व मना रहा हो, तब आप सभी सांसदों ने उनकी भावना को सर्वोपरि रखा है। मैं संसद के दोनों सदनों का तथा सभी सांसदों का अभिनंदन करता हूं।”
राष्ट्रपति ने कहा कि पूज्य बापू के इस विचार का समर्थन करते हुए, समय-समय पर अनेक राष्ट्रीय नेताओं और राजनीतिक दलों ने भी इसे आगे बढ़ाया। उन्होंने कहा, “ हमारे राष्ट्र निर्माताओं की उस इच्छा का सम्मान करना, हमारा दायित्व है। ”
नागरिकता संशोधन कानून के बाद इस बारे में विभिन्न रिपोर्टों के मद्देनजर स्थिति स्पष्ट करते हुए उन्होंने कहा कि वह साफ शब्दों में कर रहे हैं कि भारत में आस्था रखने वाले और भारत की नागरिकता लेने के इच्छुक दुनिया के सभी पंथों के व्यक्तियों के लिए जो प्रक्रियाएं पहले थीं, वे आज भी वैसी ही हैं।
श्री कोविंद ने कहा कि सभी इस बात के साक्षी हैं रहे हैं कि समय के साथ पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर होने वाला अत्याचार बढा है। हाल ही में ननकाना साहिब में जो हुआ उसे सभी ने देखा है। उन्होंने कहा , “हम सभी का यह दायित्व है कि पाकिस्तान में हो रहे अत्याचार से पूरा विश्व परिचित हो।” पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचार की निंदा करते हुए उन्होंने विश्व समुदाय से इसका संज्ञान लेने और इस दिशा में आवश्यक कदम उठाने का आग्रह किया।