आस्था को कमाई का जरिया बनाकर अथाह संपत्ति के मालिक बने बैठे हैं मंदिराधीश




अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण करा रही श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट पर भ्रष्टाचार के आरोप कोई नई बात नहीं है। देश में मंदिर कमाई का एक बड़ा जरिया बने हुए हैं। आस्था के नाम पर लोगों को ठगने का खेल लंबे से समय से चल रहा है। राम मंदिर भले ही सत्ता हथियाने का मुद्दा बना रहा हो पर देश में ऐसे कई मंदिर हैं जिनके पास अथाह संपत्ति है। राम मंदिर निर्माण के नाम पर हिन्दुओं की भावनाओं को भड़काकर एक बार नहीं बार-बार चंदा लिया गया है। इसका हिसाब न मांगा गया और न ही किसी ने दिया। हां यह बात दूसरी है कि राजनीतिक दल मंदिरों के नाम हो रहे भ्रष्टाचार को जनहित में कम उठाते हैं बल्कि राजनीतिक  लाभ के लिए ज्यादा उठाते हैं। आप नेता संजय सिंह ने अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण करा रही श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए आप नेता संजय सिंह ने उसकी जांच सीबीआई से कराने की मांग की है। ये आरोप संजय सिंह ने बाकायदा उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर लगाये हैं। संजय सिंह आरोप है कि ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने संस्था के सदस्य अनिल मिश्रा की मदद से दो करोड़ रुपए कीमत की जमीन 18 करोड़ रुपए में खरीदी। संजय सिंह ने इसे सीधे रूप से मनी लॉन्ड्रिंग का मामला बताया है। ऐसे में प्रश्न उठता है कि देश में मंदिर आस्था और राजनीति तक ही सीमित हैं या फिर इसके पीछे खेल कुछ और भी है।
दरअसल हमारे देश में धर्मस्थलों के नाम पर जमीन कब्जाना और संपत्ति अर्जित करने का खेल बड़े स्तर पर चल रहा है। वैसे तो हर धर्म का यही हाल है पर हिन्दुओं की आस्था का फायदा ज्यादा उठाया जा रहा है। निजी स्वार्थ के लिए आस्था को अंधविश्वास बदला जा रहा है। स्थिति यह है कि देश में मंदिर कमाई का एक बड़ा जरिया बन गये हैं। लॉक डाउन में जब विभिन्न बंद किये गये तो उनकी कमेटियां बिलबिला उठी। देश में एक से बढ़कर एक मंदिर है और इनकी कमाई भी एक से बढ़कर एक है। कई मंदिरों के पुजारियों पर अनैतिक काम करने के भी आरोप लगे हैं। मंदिर के नाम पर खेल खेलने वाले लोगों ने ऐसा माहौल बना दिया कि कई बार कितने मंदिरों में अनैतिक काम भी होते हैं तो आस्था के चलते दबा दिये जाते हैं। कितने मंदिरों की कमेटियों ने मंदिरों के आसपास की जमीन हथियाकर कॉमर्शियल मार्केट बना लिये हैं। दिल्ली के झंडेवालान मंदिर की कमेटी का तो आसपास में रहे गरीब लोगों को उजाकर जमीन को हथियाने का खेल लंबे समय से चल रहा है।
मतलब आस्था के नाम पर चल रहा धंधा देश में बहुत फलफूल रहा है। देश में मंदिरों में चढ़ावे के नाम पर कारोबार बढ़ाने का अंधविश्वास लगातार जड़ें जमा रहा है। मंदिरों की कमाई को बढ़ाने के लिए आस्था का अंधविश्वास में बदलने का खेल लंबे समय से चल रहा है। स्थिति यह है कि देश की चल और अचल संपत्ति का बड़ा भाग विभिन्न मंदिरों के पास है। वैसे तो देश के लगभग हर हिस्से में स्थापित मंदिरों में मोटी कमाई होती है पर साउथ में यह खेल बड़े स्तर पर चल रहा है। स्थिति यह मंदिरों में रखी मूर्तियों के असली स्वरूपों ने भले ही कितने कष्ट उठाए हों पर इन मूर्तियों के नाम मोटी कमाई की जा रही है।
केरल के तिरुवनंतपुरम (त्रिवेंद्रम) शहर के बीच में स्थापित पद्मनाभ स्वामी मंदिर देश का सबसे अमीर मंदिर माना जाता है। लोकतंत्र में यह भी अपने आप में आश्चर्य की बात ही है कि इस मंदिर की देखभाल त्रावणकोर के पूर्व शाही परिवार द्वारा की जाती है। मंदिर की कुल एक लाख करोड़ के आसपास है।
आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में स्थापित  तिरुपति पति बालाजी का मंदिर  कुल संपत्ति लगभग 50,000 करोड़ रुपये की है। उड़ीसा राज्य के तटवर्ती शहर पुरी में स्थापित श्री जगन्नाथ मंदिर की संपत्ति और आय दोनों ही करोड़ों में है। मंदिर के पास लगभग 32 करोड़ की चांदी के जेवर हैं। 6 लाख कीमत के चांदी के सिक्के हैं। साथ ही, हर साल लगभग 350 करोड़ का दान आता है।


महाराष्ट्र के शिर्डी में सांई बाबा का मंदिर बना हुआ है। सांई बाबा मंदिर भी देश के अमीर मंदिरों में से एक माना जाता है। इस मंदिर की संपत्ति और आय दोनों ही करोड़ों में है। मंदिर के पास लगभग 32 करोड़ की चांदी के जेवर हैं। 6 लाख कीमत के चांदी के सिक्के हैं। साथ ही, हर साल लगभग 350 करोड़ का दान आता है। वह बात दूसरी है कि सांई बाबा एक गुरु, योगी और फकीर थे, उन्हें उनके भक्त संत कहते थे।  सांई शब्द उन्हें भारत के पश्चिमी भाग में स्थित प्रांत महाराष्ट्र के शिर्डी नामक कस्बे में पहुंचने के बाद मिला।
मुंबई स्थित सिद्घिविनायक मंदिर भारत के रईस मंदिरों में से एक माना जाता है। इस मंदिर को 3.7 किलोग्राम सोने से कोट किया गया है, जो कि कोलकाता के एक व्यापारी ने दान किया था। भारत में हिंदुओं  का पवित्र तीर्थस्थल वैष्णो देवी मंदिर है जो त्रिकुटा हिल्स में कटरा नामक जगह पर 1700 मी. की ऊंचाई पर स्थित है। आंध्र प्रदेश के तिरुमला वेंकटेश्वर मंदिर के बाद इसी मंदिर में भक्तों द्वारा सबसे ज्यादा दर्शन किए जाते है। यहां हर साल लगभग 500 करोड़ का दान आता है। गुजरात के सोमनाथ मंदिर उल्लेख ऋग्वेद में भी मिलता है। इसे अब तक 17 बार नष्ट किया गया है और हर बार इसका पुनर्निर्माण किया गया। सोमनाथ में हर साल करोड़ों को चढ़ावा आता है। केरल के गुरुवयुर मंंदिर लगभग 5000 साल पुराना बताया जाता है। गुरुवयुर मंंदिर वैष्णवों की आस्था का केंद्र है। अपने खजाने के कारण यह मंदिर भी भारत के 10 सबसे अमीर मंदिरों में से एक है। उत्तर प्रदेश के वाराणसी में स्थापित काशी विश्वनाथ मंदिर का हिंदू धर्म में एक विशिष्ट स्थान माना जाता है। वर्तमान मंदिर का निर्माण महारानी अहिल्या बाई होल्कर द्वारा सन 1780 में करवाया गया था। बाद में महाराजा रंजीत सिंह द्वारा 1853 में 1000 कि.ग्रा शुद्ध सोने द्वारा मढ़वाया गया था। काशी विश्वनाथ भी भारत के अमीर मंदिरों में से एक है। यहां हर साल करोड़ों का चढ़ावा आता है। तमिलनाडु के मदुरै स्थित मीनाक्षी अम्मन मंदिर विश्व के नए सात अजूबों के लिए नामित किया गया है।  मंदिर का मुख्य गर्भगृह 3500 वर्ष से अधिक पुराना माना जा रहा है। यह मंदिर भी अमीर मंदिरों में से एक माना जाता है।