कांग्रेस,भाजपा नहीं चाहती एस-एसटी का भला : मायावती


लखनऊ 16 फरवरी कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर जातिवादी रवैये का आरोप लगाते हुये बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो मायावती ने कहा कि ये दल एससी/एसटी और ओबीसी वर्ग को शिक्षा एवं सरकारी नौकरी में आरक्षण का विरोध खुले तौर पर नहीं करती हैं, लेकिन अपनी कार्यप्रणाली में हर वह काम करती हैं जिससे समाज का यह वर्ग उपेक्षित और तिरस्कृत रहे।
सुश्री मायावती ने शनिवार को कहा कि पहले कांग्रेस और अब भाजपा सरकारों के जातिवादी रवैये के कारण दलित, आदिवासी और अन्य पिछड़ा वर्ग को आरक्षण की संवैधानिक व्यवस्था के जरिये देश की मुख्यधारा में शामिल करने का प्रयास विफल होता दिख रहा है, जो दुर्भाग्यपूर्ण और चिन्ता की बात है।
उन्होने कहा कि आरक्षण की सकारात्मक व्यवस्था को ज़मीनी हकीकत में नहीं लागू होने देना कांग्रेस,भाजपा और अन्य विरोधी पार्टियों की कथनी करनी में अन्तर का पुख्ता सबूत है। एससी/एसटी और ओबीसी वर्ग को शिक्षा एवं सरकारी नौकरी में मिले आरक्षण का विरोध ये पार्टियां वोट के भय से खुले तौर पर नहीं करती हैं, लेकिन अपनी नीयत नीति एवं कार्यप्रणाली में हर वह काम करती हैं जिससे यहाँ सदियों से शोषित-पीड़ित, उपेक्षित और तिरस्कृत रहे। इन कमजोर वर्ग के करोड़ो लोगाें को मिलने वाली आरक्षण की सुविधा निष्क्रिय एवं निष्प्रभावी हो जाए और अन्ततः यह प्रावधान केवल कागजी होकर ही रह जाये।
बसपा अध्यक्ष ने कहा कि इन दलों की सरकारों के न्यायालय के भीतर भी इसी प्रकार के ग़लत रवैये के कारण अब अदालती फैसलों से लगता है कि आरक्षण एक संवैधानिक अनिवार्यता ना रहकर मात्र सरकारों की इच्छाओं पर निर्भर रह जायेगा, जिससे पूरे देश भर में इन वर्गो के साथ-साथ कानून-संविधान की मान मर्यादा के हिसाब से काम करने वाले सर्वसमाज के अधिकतर लोग भी काफी ज्यादा दुःखी और विचलित दिखते हैं।
उन्होने कहा कि उत्तर प्रदेश में 2012 में बसपा सरकार के जाने के बाद से तो आरक्षण की व्यवस्था के साथ-साथ सरकारी नौकरियों में प्रमोशन में आरक्षण की व्यवस्था को एक प्रकार से समाप्त ही कर दिया गया है। इनके डिमोशन के मामले में लगातार ऐसी सक्रियता दिखाई गई जैसे यही देश समाज हित का सबसे बड़ा काम सरकारों के लिए रह गया हो। यह सब विरोधी पार्टियों की जातिवादी मानसिकता नहीं तो और क्या है। अब बीजेपी की वर्तमान सरकार में इसी जातिवादी रवैये का शिकार केवल एससी/एस.टी. समाज के लोग ही नहीं बल्कि ओबीसी वर्ग भी काफी ज्यादा सताए जा रहे हैं।