‘आजकल’ के 75 साल पूरे, विशेषांक का कल मेले में लोकार्पण


नयी दिल्ली, 05 जनवरी (वार्ता) सूचना प्रसारण मंत्रालय की पत्रिका 'आजकल' देश की राष्ट्रीय स्तर की पहली ऐसी हिंदी पत्रिका है जो गत 75 साल से निकल रही है और इस गौरवशाली इतिहास पर इसके महाविशेषांक का लोकार्पण कल विश्व पुस्तक मेले में होगा।

आजादी से पहले 1945 से अनवरत निकल रही इस पत्रिका में अपने समय के सभी दिग्गज लेखकों ने लिखा है जिनमें राहुल सांकृत्यायन, हजारी प्रसाद द्विवेदी, रामधारी सिंह दिनकर से लेकर रांगेय राघव जैसे लोग हैं। प्रख्यात लेखक पत्रकार रघुवीर सहाय की पहली कविता 1948 में 'आजकल' में छपी।

पत्रिका के सम्पादक राकेश रेणु ने यूनीवार्ता को बताया कि 'आजकल' का गौरव शैली इतिहास रहा है कोई ऐसी सरकारी पत्रिका हिंदी में नहीं जो इतने समय से निकल रही है। उन्होंने कहा, “मेरी जानकारी में कोई हिंदी पत्रिका नहीं जो 75 साल से लगातार निकल ही नहीं रही, बल्कि उसे राष्ट्रीय स्तर पर इतना सम्मान मिला हो।”

अब तक इसके 25 संपादक हुए जिनमें चंद्रशेखर आज़ाद के साथी क्रांतिकारी मन्मथ नाथ गुप्त भी शामिल हैं तो देवेंद्र सत्यार्थी और चंद्रगुप्त विद्यालंकार जैसे लोग भी। बाद में द्रोणवीर कोहली और पंकज बिष्ट जैसे लेखक भी सम्पादक रहे लेकिन पहले सम्पादक कुंवर किशोर सेठ थे जो कुछ महीने ही इस पद पर रहें।

'आजकल' ने अपना स्वर्ण जयंती अंक भी निकाला था। अब 75वें वर्ष का विशेषांक आ रहा जिसका लोकार्पण मूर्तिदेवी एवं व्यास सम्मान से सम्मानित लेखक विश्वनाथ त्रिपाठी करेंगे। प्रकाशन विभाग के महानिदेशक के श्याम प्रसाद मुख्य अतिथि रहेंगे और पंकज बिष्ट वक्ता होंगे। उन्होंने बताया कि इस अंक में 75 लेखकों को लेखों, कविताओं और परिचर्चाओं में शामिल किया गया है। इसमें साहित्य की विभिन्न विधाओं पर लेख है जिसमें आजादी के बाद का सर्वेक्षण किया गया है जिसे हिंदी के अधिकारी विद्वानों ने लिखा है। उन्होंने बताया कि हमने गत दिनों महात्मा गांधी की 150वीं जयन्ती राहुल जी शिवपूजन जी की 125वीं जयन्ती पर अंक निकाले तो कृष्णा सोबती, नामवर सिंह, केदारनाथ सिंह, कुंवर नारायण और विष्णु खरे पर भी अंक निकाले।