एक के बाद एक राज्यों में सत्ता गंवाने वाली बीजेपी दिल्ली को लेकर आशंकित थी! देश भर में हो रहे विरोध प्रदर्शन और विपक्ष के हमलों के बाद बीजेपी सीएए-एनआरसी को लेकर बैकफुट पर आ गई है? दिल्ली के शाहीन बाग, जामिया और जेएनयू प्रदर्शन के बाद सीएए और एनआरसी का मुददा बीजेपी के लिए चुनाव में कमजोर कड़ी हो गई है? जवाब है, हां, लेकिन क्या हो अगर आप अपनी कमजोरी को ही सबसे बड़ी ताकत में बदल दो तो...
नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी पर जारी बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है। बात अगर राजधानी दिल्ली की हो तो सीएए और एनआरसी के खिलाफ जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के छात्रों का प्रदर्शन और शाहीनबाग में जारी औरतों का धरना बीते कई दिनों से सुर्ख़ियों में है। इन सब के बीच दिल्ली में अगले हफ्ते विधानसभा चुनाव भी होने हैं। एक-डेढ़ महीने पहले तक जहां आम आदमी पार्टी को लेकर ये कहा जा रहा था कि वो दिल्ली में अपर-हैंड पर है। लेकिन तेजी से बदलते माहौल और बनते-बिगड़ते समीकरण से अब ये कहा जाने लगा है कि इस चुनाव में आप की राह इतनी भी आसान नहीं होगी। चाहे जामिया हो या शाहीनबाग या फिर जेएनयू आजकल दिल्ली की सियासत का केंद्र बिन्दु बनकर रह गया। चाहे वो अपनी जमीन तलाशने की कवायद में कांग्रेस नेताओं का यहां दस्तक हो या फिर राजनीतिक रोटियां सेंकने की कवायद और इस पर शरजील इमाम का विवादित बयान। इन सारे तथ्यों ने बीजेपी को एक बार फिर फ्रंटफुट पर खेलने पर मजबूर कर दिया। बिजली, पानी-फ्री के मुद्दे के सहारे दिल्ली के दिलों को एक बार फिर जीतने निकले केजरीवाल के जवाब में बीजेपी ने शाहीन बाग में चल रहे सीएए के खिलाफ प्रदर्शन को अपने चुनावी हथियार के तौर पर लाकर खड़ा कर दिया। अभी तक शाहीन बाग पर बोलने से बचने वाले केजरीवाल भी बीजेपी के दांव में फंस कर जवाब देने पर मजबूर हो गए। ऐसे में अगर दिल्ली के चुनाव में वोटों का ध्रुवीकरण हुआ तो सूबे की दर्जनभर विधानसभा सीटों पर समीकरण बदल सकते हैं।
2015 के विधानसभा चुनाव पर गौर करें तो शालीमार बाग, राजौरी गार्डन, गांधी नगर, विश्वास नगर, शाहदरा, रोहताश नगर, मुस्तफाबाद, घोंडा समेत दिल्ली की 13 विधानसभा सीटें ऐसी रहीं हैं, जहां पर जीत-हार का अंतर 10 हजार वोट या फिर इससे कम रहा है। इन 13 सीटों में से 10 पर आम आदमी पार्टी की जीत हुई थी, जबकि तीन सीटों पर बीजेपी प्रत्याशी विजयी रहे थे। 2015 के विधानसभा चुनाव में पांच हजार से जीत हार वाली पांच सीटें थीं। इनमें से चार सीटें आम आदमी पार्टी जीतने में कामयाब रही थी और एक सीट बीजेपी को मिली थी। नजफगढ़ से कैलाश गहलोत महज 1555 वोट से जीत दर्ज किए थे और शकूरबस्ती सीट से सत्येंद्र जैन 3133 मत से जीते थे। इसके अलावा लक्ष्मी नगर से नितिन त्यागी 4846 वोट से और कृष्णा नगर सीट से किरण बेदी को मात देने वाले एसके बग्गा 2277 वोट से जीते थे। इन चार में से तीन सीट पर दूसरे नंबर पर बीजेपी रही थी और एक सीट पर इनेलो थी। वहीं, रोहिणी सीट से बीजेपी के विजेंद्र गुप्ता को 5367 वोटों से जीत मिली थी और दूसरे नंबर पर आप रही थी।
अभी तक बीजेपी की कमजोरी रही सीएए-एनआरसी के मुद्दे को ही पार्टी ने दिल्ली के सियासी समीकरण बनाने का पैमाना बना लिया है। बीजेपी ने शाहीन बाग में चल रहे सीएए के खिलाफ प्रदर्शन को 'चुनावी मुद्दा' बनाने की घोषणा की है। बीजेपी ने बाकायदा 'शाहीन बाग में कौन किधर' अभियान भी शुरू किया है। बीजेपी नेता आप और कांग्रेस और लोगों से पूछ रहे हैं कि वे शाहीन बाग के समर्थन में हैं या विरोध में?
माहौल अपने पक्ष में बनाने में माहिर सियासत के चाणक्य अमित शाह ने दिल्ली के बाबरपुर में रैली को संबोधित करते हुए जिस अंदाज में दोनों हाथ ऊपर उठाकर मुट्ठियां भींचते हुए ज़ोर से भारत माता की जय का नारा लगाया और कहा, 'इस शाहीन बाग़ के जितने समर्थक हैं वहां तक आवाज़ पहुंचनी चाहिए। साथ ही 8 फरवरी को वोट देते समय ईवीएम पर ऐसा बटन दबाओ कि करंट शाहीन बाग में लगे और वो उठ जाएं' जैसे बयान देकर शाह ने अपने मंसूबे साफ कर दिए। दूसरी तरफ दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल शाहीन बाग में सीएए के खिलाफ चल रहे प्रदर्शन को लेकर बीजेपी पर 'गंदी राजनीति' करने का आरोप भी लगा रहे हैं।
शाहीन बाग में हो रहा महिलाओं का यह प्रदर्शन चुनावी ध्रुवीकरण की ओर मुड़ चला है। केंद्रीय नेता अनुराग ठाकुर ने जहां मंच से गोली मारो के नारे लगवाए हैं वहीं गृहमंत्री ने केजरीवाल से पूछा है कि क्या वो शाहीन बाग में चल रहे प्रदर्शनकारियों के साथ हैं?
इसी बयानबाजी के बीच दिल्ली में विधानसभा चुनाव के मद्देनज़र भारतीय जनता पार्टी और आम आदमी पार्टी एक दूसरे पर इस प्रदर्शन को लेकर आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति कर रही है। इस लड़ाई में भाजपा की तरफ से जहां देश के गृहमंत्री अमित शाह, वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर और सांसद प्रवेश वर्मा मैदान में हैं वहीं आप की तरफ से यह कमान खुद मुख्मंत्री अरविंद केजरीवालउप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने सभाल रखी है।
ख़ासतौर से शरजील इमाम का वीडियो आने के बाद ये मुद्दा और गरम हो गया है और बीजेपी इसे पूरी तरह भुनाने की कोशिश कर रही है। अब नतीजा ये है कि आम आदमी पार्टी और कांग्रेस बीजेपी के पिच पर बैटिंग करने पर मजबूर हो गए हैं। दिल्ली चुनावों में बीजेपी के जीतने के दो ही रास्ते हैं, पहला धार्मिक आधार पर ध्रुवीकरण हो और दूसरा मुसलमान वोट कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच बंटे। अभी मुसलमान वोट बंटते हुए तो नहीं लग रहे हैं। लेकिन बीजेपी और आप के बीच सीधी टक्कर दिख रही है। और वैसे भी अमित शाह जिस प्रखर अंदाज में कैंपेन करते दिख रहे हैं उससे दिल्ली की हवा और मौसम में हल्की बदलाव की आहट भी दिखती प्रतीत हो रही है। अब ये हवा आगे चलकर लहर में तब्दील हो पाएगी या नहीं इसका पता 11 फरवरी को ही चल पाएगा।