नयी दिल्ली। सार्वजनिक क्षेत्र की पारेषण कंपनी पावर ग्रिड कॉरपोरेशन ने दूरसंचार विभाग द्वारा 22,000 करोड़ रुपये बकाया मांगने के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। उल्लेखनीय है कि उच्चतम न्यायालय ने अपने 24 अक्टूबर के आदेश में दूरसंचार सेवा प्रदाता कंपनियों के मामले में समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) की सरकार की परिभाषा को सही ठहराते हुये उन्हें इस सकल आय के मुताबिक शुल्क और करों का भुगतान करने का आदेश दिया। इस गणना के मुताबिक भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया जैसी अन्य दूरसंचार सेवा प्रदाता कंपनियों पर सरकार को बकाया चुकाने का आदेश दिया गया है। इसी क्रम में दूरसंचार विभाग ने दूरसंचार कारोबार से जुड़ी गैर-दूरसंचार कंपनियों से भी एजीआर के मुताबिक बकाए की मांग की है। इसमें गेल इंडिया लिमिटेड से 1.72 लाख करोड़ रुपये, ऑयल इंडिया लिमिटेड से 48,000 करोड़ रुपये और पावरग्रिड से 22,000 करोड़ रुपये का बकाया देने को कहा गया है। रेलटेल और अन्य लोक उपक्रमों से भी बकाया चुकाने को कहा गया है।दरअसल इन कंपनियों ने अपने नेटवर्क के साथ आप्टिकल फाइबर लाइनें बिछाई हुई हैं अथवा स्पेक्ट्रम भी लिया हुआ है। पावरग्रिड ने एक बयान में कहा कि उसने दूरसंचार विभाग की इस मांग का विरोध करते हुए 23 जनवरी, 2020 को उच्चतम न्यायालय में याचिका दर्ज की है और न्यायालय से उसके 24 अक्टूबर 2019 के आदेश को स्पष्ट करने के लिए कहा है क्योंकि उसके कुल कारोबार में दूरसंचार कारोबार की हिस्सेदारी मात्र दो प्रतिशत है जबकि बिजली पारेषण और परामर्श कारोबार की हिस्सेदारी 98 प्रतिशत है।
दूरसंचार विभाग ने पावरग्रिड से मांगे 22,000 करोड़, कंपनी ने दी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती