कड़ाके की ठंड से बागवानी फसलों को नुकसान, बरतें सावधानी


नयी दिल्ली, 06 जनवरी सर्दी के मौसम के दौरान बहुत सारी लजीज स्वाद वाले फल सब्जियों की खेती होती है लेकिन तापमान के जमाव बिन्दु के निकट पहुंचने, खासकर पाले से इन फसलों को होने वाले नुकसान से कुछ सावधानी बरत कर बचा जा सकता है।

कड़ाके की ठंड या तापमान के जमाव बिन्दु के आसपास पहुंचने से बागवानी फसलों के पौधे पर निकलने वाले फूलों को नुकसान हो सकता है जिससे इसके उत्पादन पर गहरा असर हो सकता है। कम ऊंचाई वाले क्षेत्रों में जहां बगीचे लगाये जाते हैं, वहां यह नुकसान हो सकता है।

केन्द्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान, लखनऊ के निदेशक शैलेन्द्र राजन के अनुसार बरसात के समय जिन फलदार पौधों को लगाया गया था उन पौधों के ऊपर खर-पतवार से छाया बनाकर तथा नियमित सिंचाई से पाले से बचाया जा सकता है। उत्तरी मैदानी क्षेत्र के किसानों को आम के कलमी पौधों की सुरक्षा की व्यवस्था समय से कर लेनी चाहिए नहीं तो किसी भी दिन तापमान में भारी गिरावट और पाले से एक ही रात में आम का पौधा मर सकता है।

डॉ राजन ने बताया कि सर्दी के मौसम में निम्न तापमान में बंद गोभी, फूलगोभी, नोलखोल,ब्रोकली आदि सब्जियों में स्वाद और मिठास बढ़ जाती है। रात के तापमान में गिरावट से सेब की तरह लाल दिखने वाले अमरूद और निखर जाता है। दिन में सूरज की तेज किरणों और कड़ाके की ठंड वाली रात लाल रंग वाले अमरूद के लिए बेहतरीन होती है क्योंकि ऐसे समय में इसका रंग और निखरता है और इसके ऊपरी परत की लालिमा बढ़ती है। ऐसे समय में अमरुद और स्वादिष्ट और मीठा होता है । कई बार सर्दी के समय वर्षा इसका मिठास कम करती है। अधिक ठंड से फल का ऊपरी परत कड़ा हो जाता है और गुणवत्ता को खराब करता है।

निम्न तापमान और आर्द्रता के कारण टमाटर और आलू जैसी फसलों पर झुलसा रोग का प्रकोप हो सकता है। फफूंदनाशक दवाओं का छिड़काव और हल्की सिंचाई से इन फसलों की सुरक्षा की जा सकती है। निम्न तापमान में रात के कुप्रभाव से फसलों को बचाने में सिंचाई की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।

सदाबहार पत्तों वाले पौधे रात के समय निम्न तापमान होने के प्रति संवेदनशील होते हैं ऐसे में इन्हें कपड़ों से ढक देना चाहिए। कड़ाके की ठंड में पौधों को घासफूस से ढक कर, नियमित सिंचाई और धुंआ करके भी बचाया जा सकता है।