खाद्य पदार्थों की महँगाई दर 14 प्रतिशत पर, छह साल का रिकॉर्ड स्तर


नयी दिल्ली 13 जनवरी (वार्ता) सब्जियों और दालों की आसमान छूती कीमतों के बीच दिसंबर 2019 में खुदरा महँगाई दर साढ़े पाँच साल के उच्चतम स्तर 7.35 प्रतिशत पर पहुँच गयी जबकि खाद्य पदार्थों की खुदरा महँगाई दर छह साल से ज्यादा के उच्चतम स्तर 14.12 फीसदी पर रही।
ओवरऑल खुदरा महँगाई दर लगातार पाँचवें महीने बढ़ी है। गत दिसंबर का इसका स्तर जुलाई 2014 के बाद सर्वाधिक है। खाद्य खुदरा महँगाई की दर लगातार 10वें महीने बढ़ी है जबकि फरवरी 2019 में यह ऋणात्मक थी। यह नवंबर 2013 के बाद उच्चतम स्तर पर पहुँच चुकी है।
देश में आर्थिक सुस्ती की बात स्वीकार चुकी सरकार के लिए महँगाई के आँकड़े चिंताजनक हैं। मोदी सरकार के कार्यकाल में यह पहला मौका है जब खाने-पीने की चीजों के दाम इस कदर बढ़े हैं।
केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा सोमवार को जारी आँकड़ों के अनुसार, दिसंबर 2019 में सब्जियों की महँगाई दर 60.50 प्रतिशत पर रही। इसका मतलब यह है कि दिसंबर 2018 की तुलना में पिछले महीने सब्जियों के दाम 60.50 फीसदी बढ़े। दालों एवं इनसे बने उत्पादों की महँगाई दर 15.44 प्रतिशत रही।
यह लगातार दूसरा महीना है जब खाद्य पदार्थों की महँगाई दर दहाई अंक में रही है। नवंबर 2019 में खाद्य खुदरा महँगाई दर 10.01 प्रतिशत रही थी। एक साल पहले दिसंबर 2018 में यह दर 2.65 प्रतिशत ऋणात्मक रही थी।
खाद्य महँगाई दर को सम्मिलित करते हुये ओवरऑल खुदरा महँगाई दर नवंबर 2019 में 5.54 प्रतिशत और दिसंबर 2018 में 2.11 प्रतिशत रही थी।
ग्रामीण और शहरी दोनों इलाकों में दिसंबर 2018 में लोग महँगाई से एक समान परेशान रहे। खुदरा महँगाई की दर ग्रामीण इलाकों में 7.26 प्रतिशत और शहरी इलाकों में 7.46 प्रतिशत रही। खाद्य खुदरा महँगाई दर ग्रामीण इलाकों में 12.97 प्रतिशत और शहरी इलाकों में 16.12 प्रतिशत रही।सब्जियों तथा दालों के अलावा माँस-मछली की महँगाई दर गत दिसंबर में 9.57 प्रतिशत रही। अंडे के दाम एक साल पहले की तुलना में 8.97 फीसदी बढ़े। मसाले के दाम में भी 5.76 प्रतिशत की तेजी रही। अनाज एवं उनके उत्पाद, दूध एवं डेयरी उत्पाद और फलों की महँगाई दर भी चार फीसदी से अधिक रही।
आवासों की महँगाई दर 4.30 प्रतिशत रही। ईंधन एवं बिजली के दामों में साल-दर-साल आधार पर ज्यादा वृद्धि नहीं हुई और इस वर्ग की महँगाई दर 0.70 प्रतिशत रही।
अन्य की श्रेणी में एक साल पहले के मुकाबले दिसंबर 2019 में सौंदर्य उत्पाद एवं सेवायें 6.28 प्रतिशत, परिवहन सेवायें 4.77 प्रतिशत, मनोरंजन के साधन 4.02 प्रतिशत, स्वास्थ्य सेवायें 3.80 प्रतिशत और शिक्षा के साधन 3.73 प्रतिशत महँगे हुये।
खुदरा महँगाई बढ़ने से रिजर्व बैंक पर अगली द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो दर घटाने का दबाव होगा। केंद्रीय बैंक का सरकार के साथ समझौता है जिसके तहत खुदरा महँगाई दर चार प्रतिशत के आसपास रखना उसकी जिम्मेदारी है। उसे दीर्घावधि में इसे चार प्रतिशत पर रखना है जबकि मासिक आँकड़ा दो से छह प्रतिशत के बीच होना चाहिये। लगातार महँगाई दर इस दायरे के बाहर जाने पर रिजर्व बैंक को सरकार को स्पष्टीकरण देना होगा।