न्यायालयों के फैसले भारतीय भाषा में किये जाने की मांग

मथुरा 20 जनवरी (वार्ता) उत्तराखण्ड में विधि आयोग के सदस्य चन्द्रशेखर उपाध्याय ने उच्च न्यायालय एवं उच्चतम न्यायालय के निर्णय अंग्रेजी भाषा के साथ साथ देश की अन्य 22 भाषाओं में पारित करने की मांग के परिप्रेक्ष्य में हस्ताक्षर अभियान शुरू किया है।
श्री उपाध्याय ने सोमवार को यहां पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि उनका लक्ष्य दो करोड़ हस्ताक्षर कराना है। हस्ताक्षर अभियान के माध्यम से वे जहां इसके बारे में जनजागरण करना चाह रहे हैं वहीं सांसदों तक एक ऐसी मांग पहुंचाना चाहते हैं जो उनके भी क्षेत्र की जनता की आवाज एवं मांग है।
उन्होंने कहा कि आजादी के बाद संविधान के अनुच्छेद 348 में यह व्यवस्था की गई थी कि 15 वर्ष तक उच्च न्यायालय एवं उच्चतम न्यायालय के फैसले अंग्रेजी में दिए जाएंगे। भारतीय संविधान के लागू होने के आज 72 वर्ष गुजर गए लेकिन 15 वर्ष के लिए की गई व्यवस्था आज भी चलाई जा रही है। संविधान का अनुच्छेद 349 कहता है कि भारत का संविधान लागू होने के 15 वर्ष के अन्दर अनुच्छेद 348 में संशोधन हो जाना चाहिए।
सदस्य ने साफ किया कि अंग्रेजी से उनका कोई दुराव नही है लेकिन देश की अधिक आबादी अपनी भाषा में मुकदमों का फैसला जानना चाहती है इसलिए अंग्रेजी के साथ साथ अष्टम सूची में जो 22 भारतीय भाषाएं हैं , उनमें भी उच्च न्यायालय एवं उच्चतम न्यायालय के मुकदमों का फैसला पारित करने की व्यवस्था की जानी चाहिए।
मूल रूप से आगरा निवासी उपाध्याय ने बताया कि फिलहाल वे उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड एवं दिल्ली से दस दस लाख हस्ताक्षर कराएंगे। उत्तराखण्ड मेें अब तक साढ़े सात लाख हस्ताक्षर हो चुके हैं। 15 मार्च तक वे अपने लक्ष्य को पूरा करके इन हस्ताक्षरों को राज्यवार किसी बड़ी हस्ती को सौंपेंगे। उत्तर प्रदेश के हस्ताक्षरों को वे समाजसेवी अन्ना हजारे को सौंपेंगे। इसी प्रकार अन्य राज्यों के हस्ताक्षरों को विशिष्ट व्यक्तियों का सौंपा जाएगा।