परीक्षा जीवन की मंजिल नहीं बल्कि एक पड़ाव है: मोदी


नयी दिल्ली, 20 जनवरी (वार्ता) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने परीक्षा को जीवन की मंजिल नहीं बल्कि एक पड़ाव बताते हुए छात्रों से बदलती हुई तकनीक को अपनाने और अपने कर्तव्यों का पालन करने की सोमवार को अपील की।
श्री मोदी ने तालकटोरा स्टेडियम में परीक्षा पर चर्चा कार्यक्रम के दौरान देशभर के करीब दो हजार चुनिंदा विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए यह अपील की। इस कार्यक्रम का देश भर में ही नहीं बल्कि विदेशों में सीधा प्रसारण किया गया जिसे करीब 25 देशों के 30 करोड़ लोगों ने देखा।
देशभर के विभिन्न भागों के चुनिंदा छात्रों ने श्री मोदी से परीक्षा को लेकर कई तरह के सवाल भी किए जिसका जवाब प्रधानमंत्री ने बखूबी दिया।
पहला सवाल राजस्थान की छात्रा यक्षश्री ने किया -

1- बिना दबाव में मूड ऑफ किये कैसे पढ़ें?
जवाब - मूड ऑफ होने के पीछे बाहर की बातें ज्यादा अहम होती है। अपनी अपेक्षा को कम रखने से मूड ठीक रहेगा।

2- मयंक नेगी,(उत्तराखंड)-जीवन में सफलता क्या सिर्फ परीक्षा के नम्बरों से तय होती है?
जवाब - सिर्फ परीक्षा के अंक ही जीवन नहीं है। परीक्षा पड़ाव है, पर जीवन की मंजिल नहीं..

3- प्रजक्ता अतंकर,(जबलपुर)- जो छात्र पढ़ाई नहीं बल्कि अन्य विधाओं में अच्छे हैं, उनका भविष्य क्या होगा? किसे महत्व दें?
जवाब-बिना अन्य विधाओं के शिक्षा रोबोट की तरह हो जाएगी।

4- के दिव्या, (अंडमान-निकोबार), दिवेश राय (सिक्किम) - शिक्षा में तकनीक क्या महत्व है?
जवाब - बदलती तकनीक को अपनाएं, अपनी उपयोगिता के अनुसार तकनीक चुनें। स्मार्ट फोन समय चोरी भी करता है, हम तकनीक को अपने कब्जे में रखना है, तकनीक के कब्जे में खुद को नहीं लाना है।

5. तापी अगु (अरुणाचल प्रदेश), शैलेष दिल्ली, गुनाशी शर्मा (गुजरात)- अधिकारों और कर्तव्यों में किसका ज्यादा महत्व है?
जवाब-हमारे कर्तव्य में ही सबके अधिकार समाहित हैं। गांधी जी कहते थे कि मूलभूत अधिकार नहीं कर्तव्य होते हैं।

6. शाखा खांन (तंजानिया), शोभित रस्तोगी (दिल्ली)- परीक्षा समय सवालों के जवाब भूल जाते हैं?
जवाब-पेपर को देखकर दवाब कम करने के लिए कुछ भी करें। तनाव कम होगा, तो काम होगा, पहले सरल सवाल हल करें।