डा मिश्र ने कहा कि पहले गन्ने की जो उपज किसान बोता था उसमें चीनी का परता करीब 11 फीसद रहता था जो अब बढ़कर 13 फीसद हो गया है। सीओ-238 प्रजाति गन्ने की पत्तियां स्वयं छूट जाती हैं और अगोला कम होता है और उत्तर प्रदेश के किसान 90 फीसद इसी प्रजाति को बो रहे हैं। सहारनपुर मंडल में 17 चीनी मिलें हैं और वर्तमान में सभी चीनी मिलें पिछले वर्ष की पेराई सत्र का पूर्ण भुगतान कर चुके हैं।
गन्ना आयुक्त ने बताया कि शामली चीनी मिल की ओर सात करोड़ रूपया बकाया था, जिसका भुगतान उनके प्रयासों के द्वारा 24 घंटे के भीतर करा दिया गया। शामली चीनी मिल और बजाज ग्रुप की तीन चीनी मिलों ने वर्तमान पेराई सत्र का गन्ना भुगतान शुरू नहीं किया था, कल से ये चारों चीनी मिलें मौजूदा सत्र का भुगतान शुरू कर देंगी और बाकी चीनी मिलें 50 फीसद तक गन्ना मूल्य का भुगतान कर चुकी हैं।
डा. मिश्र ने बताया कि प्रदेश के गन्ना मंत्री सुरेश राणा और प्रदेश के आयुक्त एवं चीनी मिल के प्रमुख सचिव संजय आर भूसरेड्डी के कड़े निर्देशों के चलते पश्चिमी उत्तर प्रदेश में चीनी मिलों में घटतोली पर पूरी तरह से रोक लगी हुई हैं। वह स्वयं नौ चीनी मिलों एवं तौल का निरीक्षण करते हैं। पहले घटतोली के चलते किसानों को नुकसान उठाना पड़ता था।
उत्तर प्रदेश गन्ना रूझान दो अंतिम सहारनपुर