प्रयागराज 27 जनवरी(वार्ता)। क्या इस पर विश्वास किया जा सकता है कि उत्तर प्रदेश के प्रयागराज और बाराबंकी में लगे दो पारिजात वृक्ष अफ्रीका से लाये गये थे ।
पारिजात को मनोकामना का वृक्ष माना गया है और यह मान्यता हिंदू और मुसलमान दोनो में है । चूकि इसकी आयु लंबी होती है इसलिये लोग इसे मनोकामना पूर्ति का वृक्ष भी कहते हैं । पुराणों के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान पारिजात पाया गया था ।
पारिजात को लेकर कई मान्यतायें और कहानियां हैं । वनस्पति विज्ञान के जानकार अनिल गर्ग और आर के सिंह के अनुसार रेडियो कार्बन को लेकर इसकी आयु लंबी होती है । उनका शोध पिछले 16 जनवरी को छपा है जिसमें पारिजात की लंबी आयु के बारे में बताया गया है ।
प्रयागराज के झूंसी में गंगा नदी के किनारे सूफी संत बाबा शोक तकी की मजार के पास लगा पारिजात जिसकी पूजा मुसलमान भी करते हैं और अपनी मनोकामना पूर्ति के लिये इसमें धागा बांधते हैं । इसकी ऊंचाई 14 मीटर है । दूसरा पारिजात बाराबंकी के किंटुर गांव में है जिसकी लंबाई 13़ 7 मीटर है । पांच पांडवों की मां कुंती के नाम पर इस गांव का नाम किंटुर पड़ा था।
शोध से पता चलता है कि दोनों वृक्ष को सन 1200 के आस पास लगाया गया होगा। दोनों की आयु आठ सौ साल से ज्यादा हो गई है । इन दोनों वृक्ष के बारे में कहा जाता है कि इसे अफ्रीका से लाया गया है ।
उत्तर प्रदेश में पारिजात वृक्ष अफ्रीका से आये थे