नयी दिल्ली कागज उद्योग के शीर्ष संगठन इंडियन पेपर मैन्यूफैक्चरर्स एसोसिएशन (आईपीएमए) ने देश में बढ़ते कागज आयात पर चिंता जताते हुये वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय से आयात को नियंत्रण के उद्देश्य से सभी ग्रेड के पेपर तथा पेपरबोर्ड के लिए आयात निगरानी व्यवस्था (इंपोर्ट मॉनिटरिंग सिस्टम) लागू करने की मांग की है।
आईपीएमए ने बुधवार को कहा कि पर्याप्त घरेलू उत्पादन क्षमता होने के बावजूद कम या शून्य आयात शुल्क के कारण लगातार बढ़ते आयात से देश में कागज उत्पादन प्रभावित हो रहा है। डायरेक्टरेट जनरल ऑफ कमर्शियल इंटेलीजेंस एंड स्टैटिस्टिक्स (डीजीसीआईएंडएस) द्वारा जारी नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल-दिसंबर, 2018 में कागज आयात 11 लाख टन था जो अप्रैल-दिसंबर, 2019 में 16 प्रतिशत बढ़कर 12.75 लाख टन हो गया। इस अवधि में आसियान देशों से होने वाला कागज आयात 37 प्रतिशत की तेज दर से बढ़ा है।
आईपीएमए के अध्यक्ष ए एस मेहता ने कहा कि दुनिया के कुछ बड़े कागज उत्पादक देशों का रुख भारत की ओर हो गया है जो दुनिया में कागज का सबसे तेजी से बढ़ता हुआ बाजार है। ई-कॉमर्स के विकास, शिक्षा के बढ़ते दायरे और जीवनयापन की गुणवत्ता में सुधार से भारत में पेपर तथा पेपरबोर्ड की खपत बढ़ रही है। हालांकि इस मांग का बड़ा हिस्सा आयात से पूरा हो जाने के कारण घरेलू विनिर्माताओं के लिए अवसर कम हुए हैं।
उन्होंने कहा कि भारत-आसियान एफटीए और भारत-कोरिया सीईपीए दोनों के तहत पेपर एवं पेपरबोर्ड पर आयात शुल्क लगातार कम किया गया है और आज लगभग सभी ग्रेड पर यह शून्य प्रतिशत हो गया है। एशिया पैसिफिक ट्रेड एग्रीमेंट (एपीटीए) के तहत भी भारत ने चीन एवं अन्य देशों को कागज आयात पर लगने वाले शुल्क में छूट दी है और ज्यादातर ग्रेड के कागज पर बेसिक सीमा शुल्क को 10 से सात प्रतिशत कर दिया गया है।
आईपीएमए के महासचिव रोहित पंडित ने कहा कि सभी मौजूदा एवं भविष्य में होने वाले मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) में सभी ग्रेड के पेपर और पेपरबोर्ड को नेगेटिव की सूची में डाल दिया जाना चाहिए।
आयात में भारी वृद्धि से बढ़ा कागज उद्योग का संकट