अनुच्छेद 370 के कारण योजनाओं का लाभ नहीं मिला जम्मू कश्मीर को: नायडू

नयी दिल्ली, 13 फरवरी (वार्ता)।  उप राष्ट्रपति एवं राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू ने बृहस्पतिवार को कहा कि अनुच्छेद 370 के कारण जम्मू-कश्मीर के लोगों को कल्याणकारी कार्यक्रमों और योजनाओं का लाभ नहीं मिला और राज्य में अलगाववाद की भावना को प्रोत्साहन मिला।
श्री नायडू ने यहां कनाडा की संसद-सीनेट के अध्यक्ष जार्ज जे. फ्यूरे के साथ एक बैठक में कहा कि जम्मू-कश्मीर का भारत में विधिवत् सम्मिलन हुआ है और अनुच्छेद 370 हटाना एक संवैधानिक घटनाक्रम है। अनुच्छेद 370 संविधान में अस्थायी तौर पर शामिल किया गया था लेकिन यह 71 वर्ष तक बना रहा और इसे पिछले वर्ष हटा दिया गया। चूंकि जम्मू- कश्मीर एक सीमाई राज्य है और इसकी सीमा पाकिस्तान और चीन से लगती है। इसका लाभ उठाकर बाहरी ताकतें राज्य में अलगाववाद को प्रोत्साहन देती हैं।
श्री फ्यूरे ने श्री नायडू को कनाडा की यात्रा करने का आमंत्रण भी दिया। कनाडा के शिष्टमंडल में सीनेट में विपक्ष के नेता डाेनाल्ड नेल प्लेट, सीनेटर युवोने बाेयर और भारत में कनाडा के उच्चायुक्त भी शामिल हैं।


श्री नायडू ने कहा कि भारत की विकास गाथा को जम्मू-कश्मीर को कोई लाभ नहीं मिला। देश के कुछ प्रगतिशील कानून राज्य में लागू नहीं हो सके। इससे राज्य के लोगों को कई कल्याणकारी कार्यक्रमों और योजनाओं का फायदा नहीं मिला और वे देश के अन्य हिस्सों के नागरिकों के मुकाबले पिछड़ गये। उन्हाेंने कहा कि अनुच्छेद 370 हटाना भारत का पूरी तरह से अंदरूनी मामला है और इसमें पूरी संवैधानिक प्रक्रिया का पालन किया गया है। इसे संसद के दोनों सदनों ने भारी बहुमत से पारित किया है।
उप राष्ट्रपति ने कहा कि भारत का मानना है कि आतंकवाद हमारे जैसे सभी लोकतंत्रात्मक देशों, मुक्त एवं बहुलवादी समाज के लिए साझा खतरा है और समान विचारधारा वाले देशों को इसका सामना करने के लिए एकजुट हो जाना चाहिए। कनाडा के शिष्टमंडल ने इससे सहमति जताई और कहा कि इससे निपटने के लिए वैश्विक कार्रवाई होनी चाहिए।
उन्होेंने कहा कि कनाडा सरकार को अपने देश में भारत विराेधी गतिविधियां चला रहे अलगाववादी गुटों पर लगाम कसनी चाहिए।