जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्रियों पर ‘पब्लिक सेफ्टी एक्ट’ लगाने की निंदा

नयी दिल्ली, 07 फरवरी (वार्ता)। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा ) ने जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्रियों उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती पर ‘पब्लिक सेफ्टी एक्ट’ लगाने की कड़ी निंदा की है और उनकी अविलंब रिहाई की मांग की है।



माकपा पोलित ब्यूरो ने शुक्रवार को यहां जारी बयान में कहा कि कश्मीर में इन दोनों नेताओं को पहले इतने दिनों तक नज़रबंद रखा गया और अब उन पर यह कानून भी लगा दिया जबकि ये दोनों भाजपा के साथ सरकार में रह चुके है। श्री अब्दुल्ला पूर्व में भाजपा सरकार में राज्य मंत्री थे और महबूबा मुफ्ती तो भाजपा के साथ गठबंधन में राज्य की मुख्यमंत्री भी रह चुकी हैं।



बयान में कहा गया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव का जवाब देते हुए दावा किया था कि इन दोनों द्वारा दिए गए बयान स्वीकार्य नहीं थे। लेकिन अब यह पता चला कि ये बयान एक व्यंग्य वेबसाइट ‘फ़ेकिंग न्यूज़’ के ट्विटर हैंडल से लिए गए हैं और अब यह साबित भी हो गया कि वह झूठी खबर थी।



बयान में कहा गया है कि कश्मीर में छह महीने बाद भी हजारों लोगों को हिरासत में रखा गया है। लाखों की रोजी रोटी खतरे में पड़ गई गई है और सामान्य जन जीवन ठप है। यह भारतीय संविधान और लोकतंत्र के लिए खतरनाक है।



माकपा पोलित ब्यूरो ने चार अगस्त 2019 की रात से हिरासत में लिए गए सभी लोगों को रिहा करने और भारतीय संविधान के तहत लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को फिर से स्थापित करने की मांग की है।