कांग्रेस को न्यायिक स्वतंत्रता पर सवाल उठाने का अधिकार नहीं : भाजपा

नयी दिल्ली  भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश एस. मुरलीधरन के तबादले को लेकर कांग्रेस के आरोपों को खारिज करते हुए शुक्रवार को कहा कि श्रीमती इंदिरा गांधी के शासनकाल में उच्चतम न्यायालय में वरिष्ठता क्रम को तोड़ मरोड़ कर नियुक्तियां करने वाली कांग्रेस को ये सवाल उठाने का अधिकार नहीं है।
भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं केन्द्रीय विधि एवं न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने यहां संवाददाताओं से कहा कि देश में उच्च न्यायालयों के माननीय न्यायाधीशों के स्थानांतरण की एक स्थापित प्रक्रिया है जिसके अनुरूप 12 फरवरी को उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों के कोलेजियम ने दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति मुरलीधरन और अन्य उच्च न्यायालयों के दो न्यायाधीशों के स्थानांतरण किया था। स्थापित प्रक्रिया में जहां न्यायाधीशों की तैनाती है, उस उच्च न्यायालय और जिस उच्च न्यायालय में उनका स्थानांतरण होना है, दोनों के मुख्य न्यायाधीशाें तथा स्वयं उस न्यायाधीश की सहमति ली जाती है।
श्री प्रसाद ने कहा कि इसी प्रक्रिया के तहत न्यायमूर्ति मुरलीधरन भी स्थानांतरण के लिए अपनी स्वीकृति पहले ही दे चुके थे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह, दिवंगत पूर्व मंत्री सुषमा स्वराज, अरुण जेटली आदि अनेक नेताओं ने आपातकाल के खिलाफ संघर्ष किया। उन्होंने कहा कि यह संघर्ष तीन आज़ादियों के लिए था - व्यक्तिगत आज़ादी, न्यायिक आज़ादी और मीडिया की आज़ादी।
उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के सवालों को खारिज करते हुए कहा कि श्रीमती इंदिरा गांधी के शासनकाल में उच्चतम न्यायालय में वरिष्ठता क्रम को तोड़ मरोड़ कर नियुक्तियां करने वाली कांग्रेस हमें न्याय पालिका की स्वतंत्रता का पाठ नहीं पढ़ाये।
कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल के गुरुवार को राष्ट्रपति भवन जाने के बाद श्रीमती सोनिया गांधी द्वारा केन्द्र की भाजपा नीत सरकार को राजधर्म याद दिलाने पर श्री प्रसाद ने कहा कि कांग्रेस को भी बताना चाहिए कि अफगानिस्तान, पाकिस्तान एवं बंगलादेश के प्रताड़ित अल्पसंख्यकों को लेकर श्रीमती इंदिरा गांधी और श्री राजीव गांधी से लेकर डॉ. मनमाेहन सिंह और श्री अशोक गहलोत तक उसके नेताओं की सोच रही है, उसके बारे में कांग्रेस का राजधर्म क्या है।
श्री प्रसाद ने पूछा कि रामलीला मैदान में श्रीमती सोनिया गांधी ने भाषण में कहा था कि इस पार या उस पार का फैसला होगा। इसका मतलब संविधान के रास्ते से अलग रास्ते पर जाने का संकेत था। यह उत्तेजना फैला कर कौन सा राजधर्म निभाया जा रहा है। राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर के लिए जो आप करें तो ठीक और हम करें तो गलत। आखिर ये कौन का राजधर्म है। शाहीन बाग में लोगों को उकसाने और प्रधानमंत्री श्री मोदी को कातिल कहे जाने के पीछे कौन सा राजधर्म है।
केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि हम सबकी सोच है कि शांति होनी चाहिए। बाकी बातें बाद में की जा सकतीं हैं। लेकिन देश में अब भी राजनीतिक उत्तेजना फैलायी जा रही है। कांग्रेस के लिए पहले परिवार हित, फिर पार्टी हित और अंत में देशहित है। भाजपा के कुछ नेताओं के बयानों को लेकर आलोचना पर श्री प्रसाद ने कहा कि सार्वजनिक जीवन में भाजपा ऐसे बयानों को अमान्य एवं अस्वीकार करती है। इस बारे में प्रधानमंत्री, गृह मंत्री ने ट्वीट किये हैं। पूरे मामले की एसआईटी से जांच हो रही है, जो भी दोषी होगा, उस पर कार्रवाई की जाएगी।