निर्भया : केंद्र की अपील पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई मंगलवार तक टली, नोटिस नहीं


नई दिल्ली, 07 फरवरी (वार्ता)। उच्चतम न्यायालय ने पूरे देश को हिलाकर रख देने वाले निर्भया सामूहिक दुष्कर्म और हत्या कांड के चारों दोषियों को अलग अलग फांसी नहीं दिए जाने संबंधी दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ केंद्र सरकार की याचिका की सुनवाई मंगलवार तक के लिए टाल दी है।
न्यायमूर्ति आर भानुमति, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना की विशेष खंडपीठ ने शुक्रवार को केंद्र की विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) की सुनवाई 11 फरवरी को अपराह्न दो बजे तक के लिए टाल दी। केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि गुनाहगारों की ओर से फांसी में देरी के लिए अलग-अलग तमाम प्रयास किए जा रहे हैं। यह निर्धारित करने का समय आ गया है कि ऐसे मामलों में गुनाहगारों को अलग-अलग सजा के प्रावधान किए जाने चाहिए।
इस पर न्यायमूर्ति भूषण ने कहा कि किसी को भी न्यायिक उपचार के इस्तेमाल के लिए विवश नहीं किया जा सकता।
न्यायमूर्ति भानुमति ने भी कहा कि दिल्ली उच्च न्यायालय ने गुनाहगारों को सात दिन का समय दिया है। उन्होंने कहा कि इस मामले में अगले सप्ताह मंगलवार को अपराह्न दो बजे सुनवाई की बात कही।
इस पर श्री मेहता ने खंडपीठ से चारों गुनाहगारों को कम से कम नोटिस जारी करने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि वह खुद जेल अधिकारियों के माध्यम से चारों गुनाहगारों को नोटिस तामील करा देंगे।
न्यायालय ने कहा कि जब उच्च न्यायालय ने एक सप्ताह का समय गुनाहगारों को दिया है तो बीच में नोटिस जारी करना ठीक नहीं है। उसके बाद खंडपीठ ने सुनवाई के लिए मंगलवार अपराह्न दो बजे का समय निर्धारित कर दिया। इस बाबत आदेश लिखाए जाने तक श्री मेहता नोटिस जारी करने का अनुरोध किया, लेकिन न्यायालय ने उसे अनसुना कर दिया।
केंद्र सरकार ने उच्च न्यायालय के उस फैसले को चुनौती दी है जिसमे उसने कहा है कि चारों दोषियों को अलग-अलग फांसी नहीं हो सकती।
गौरतलब है कि दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को अपने फैसले में कहा कि निर्भया के चारों दोषियों को अलग-अलग समय पर फांसी नहीं दी जा सकती जबकि केंद्र सरकार ने अपनी याचिका में कहा था कि जिन दोषियों की याचिका किसी भी फोरम में लंबित नहीं है, उन्हें फांसी पर लटकाया जाए। एक दोषी की याचिका लंबित होने से दूसरे दोषियों को राहत नहीं दी जा सकती।