पदोन्नति में आरक्षण के लिए कानूनी बाधाओं को दूर करे सरकार : माकपा

नयी दिल्ली 09 फरवरी (वार्ता)। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने सरकारी नौकरियों एवं पदोन्नति में आरक्षण के को अनिवार्य बताते हुए कहा है कि सरकार को इसे लागू करने में आ रही कानूनी बाधाओं को दूर करना चाहिए।
माकपा पोलित ब्यूरो की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि केन्द्र सरकार को संसद के दोनों सदनों में विधायी तरीके से आरक्षण को लागू करने के प्रावधानों में आने वाली बाधाओं को दूर करना चाहिए। इसके साथ ही न्यायालय के फैसले में आरक्षण की व्याख्या की समीक्षा करने के लिए सभी संबंधित कानूनी उपायों का पता लगाया जाना चाहिए।
पार्टी ने कहा है कि उसका मानना है कि अनुसूचित जाति एवं जनजाति और पिछड़े वर्गाें के लिए आरक्षण अनिवार्य है।
उल्लेखनीय है कि उच्चतम न्यायालय अपने एक फैसले में कहा है कि सरकारी नौकरियों में पदोन्नति में आरक्षण को मौलिक अधिकार के रूप में दावा नहीं किया जा सकता है। इसके साथ ही अदालत ने कहा है कि कोई भी अदालत सरकारों को अनुसूचित जाति एवं जनजाति को आरक्षण देने का आदेश नहीं दे सकती है।
माकपा ने कहा है कि न्यायालय ने कहा है कि संविधान के अनुच्छेद 16(4) और 16(4ए) व्यक्ति को संविधान के तहत आरक्षण का दावा करने का मौलिक अधिकार नहीं देता है। पार्टी ने कहा है कि नौकरियों एवं पदोन्नति के लिए आरक्षण का प्रावधान मौलिक अधिकार नहीं हो सकता है। यह एक संवैधानिक अधिकार है जिसको देश में सार्वभौमिक रूप से लागू किया जाना अनिवार्य है।