नयी दिल्ली, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को कहा कि तमाम चुनौतियों के बीच संविधान के तीनों स्तम्भों - न्यायपालिका, विधायिका और कार्यपालिका- ने संतुलन कायम रखते हुए देश को उचित रास्ता दिखाया है।
श्री मोदी ने अंतरराष्ट्रीय न्यायिक सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए कहा कि देश में कानून का शासन भारतीय लोकनीति का आधार स्तंभ है और तमाम चुनौतियों के बीच संविधान के तीनों स्तम्भों- न्यायपालिका, विधायिका और कार्यपालिका- ने अपनी-अपनी सीमाओं में रहते हुए संतुलन बरकरार रखा है और देश को उचित रास्ता दिखाया है।
उन्होंने कहा, “तमाम चुनौतियों के बीच, कई बार देश के लिए संविधान के तीनों स्तम्भों ने उचित रास्ता ढूंढा है। हमें गर्व है कि भारत में इस तरह की एक समृद्ध परंपरा विकसित हुई है। बीते पाँच वर्षों में भारत की अलग-अलग संस्थाओं ने, इस परंपरा को और सशक्त किया है।”
श्री मोदी ने कहा कि यह दशक भारत सहित दुनिया के सभी देशों में बदलावों का दशक है। यह बदलाव सामाजिक, आर्थिक और तकनीक हर मोर्च पर होंगे। ये बदलाव तर्कसंगत और न्यायसंगत भी होने चाहिए, तथा सबके हित में भी। ये बदलाव भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखकर किये जाने चाहिए।
प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार ने वैसे 1500 कानून निरस्त किये हैं जो अप्रासांगिक रह गये थे। साथ ही सरकार ने नये कानून भी बनाये हैं। उन्होंने कहा, “हमने ट्रांसजेंडर अधिकारों, ट्रिपल तलाक पर रोक तथा दिव्यांगों के अधिकारों के लिए शिद्दत से काम किया है।
उन्होंने भारत के उच्चतम न्यायालय की ओर से हाल के वर्षों में दिये गये क्रांतिकारी फैसलों की पृष्ठभूमि में कहा, “हाल में कुछ ऐसे बड़े फैसले आए हैं, जिन्हें लेकर पूरी दुनिया में चर्चा थी। फैसले से पहले अनेक तरह की आशंकाएं व्यक्त की जा रही थीं, लेकिन हुआ क्या? 130 करोड़ भारतवासियों ने न्यायपालिका द्वारा दिए गए इन फैसलों को पूरी सहमति के साथ स्वीकार किया।”प्रधानमंत्री ने लैंगिक न्याय पर जोर देते हुए कहा,“मुझे खुशी है कि इस कॉन्फ्रेंस में ‘जेंडर जस्ट वर्ल्ड’ का विषय भी रखा गया है। दुनिया का कोई भी देश और कोई भी समाज लैंगिक न्याय के बिना न तो पूर्ण विकास कर सकता और ना ही न्यायप्रियता का दावा कर सकता है।”
उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने लैंगिक समानता और न्याय के लिए अनेक प्रयास किये हैं। सैन्य सेवा में बेटियों की नियुक्ति हो, या फाइटर पाइलट्स की चयन प्रक्रिया हो अथवा थानों में रात में महिलाओं की काम करने की स्वतंत्रता, सरकार ने अनेक बदलाव किए हैं।
श्री मोदी ने भारतीय न्यायपालिक के कामकाज की सराहना करते हुए कहा,“मैं आज इस अवसर पर, भारत की न्यायपालिका का भी आभार व्यक्त करना चाहता हूं, जिसने विकास और पर्यावरण के बीच संतुलन की गंभीरता को समझा है, उस दिशा में निरंतर मार्गदर्शन किया है।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि न्यायिक सेवाओं की प्रभावी डिलीवरी के लिए भारतीय न्यायिक प्रणाली में प्रौद्योगिकी को बढ़ावा दिया गया है। इन प्रौद्योगिकियों में ई-कोर्ट सेवाएं और न्यायपालिका में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का इस्तेमाल शामिल है।
उन्होंने कहा कि सरकार देश की सभी अदालतों को ई-कोर्ट इंटिग्रेटेड मिशन मोड प्रोजेक्ट से जोड़ने का प्रयास कर रही है।
इस अवसर पर भारत के मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे ने कहा, “भारतीय सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का असर न केवल हमारे न्यायिक क्षेत्र पर, बल्कि बाहर भी होता है।” न्यायमूर्ति बोबडे ने कहा कि कानून के शासन की सफलता इस बात पर निर्भर है कि न्यायपालिका किस प्रकार विभिन्न चुनौतियों से निपटती है।
सम्मेलन में एटर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने कहा कि कल्याणकारी राज्य में न केवल कार्यपालिका और विधायिका शामिल है बल्कि न्यायपालिका भी शामिल है।