विलुप्त होती प्रजाति की सूची में शामिल होंगे एशियाई हाथी, गोडावण पक्षी

नयी दिल्ली 10 फरवरी (वार्ता)। एशियाई हाथी और गोडावण (ग्रेट इंडियन बस्टर्ड) पक्षी को विलुप्त होती प्रवासी प्रजातियों की वैश्विक सूची में शामिल किया जायेगा।
पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने सोमवार को बताया कि प्रवासी प्रजातियों पर संयुक्त राष्ट्र के सम्मेलन की 13वीं शिखर बैठक का आयोजन 15 से 22 फरवरी तक गुजरात के गाँधी नगर में किया जायेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये इस बैठक का उद्घाटन करेंगे। इसमें 130 देशों के 1800 से ज्यादा प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे जिनमें 600 विदेशी प्रतिनिधि होंगे। इसमें 15 देशों के मंत्री और देश के 18 राज्यों के वन एवं पर्यावरण मंत्री भी हिस्सा लेंगे। अगले तीन साल के लिए सम्मेलन की अध्यक्षता भी भारत को सौंपी जायेगी। इस बैठक का मस्कट ‘गोडावण’ होगा।
सम्मेलन की कार्यवाहक कार्यकारी सचिव एमि फ्रेंकेल ने ऑडियो लिंक के जरिये संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुये कहा कि बैठक में एशियाई हाथी और गोडावण समेत दुनिया के 10 जीवों को विलुप्त होते प्रवासी प्रजातियों की सूची में शामिल किया जायेगा। उन्होंने कहा कि प्रवासी जीव सभी के जीवन से जुड़े हैं। लेकिन, उनकी स्थिति अच्छी नहीं है। उनके संरक्षण के लिए और ज्यादा प्रयास करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि यदि समय रहते उचित कदम नहीं उठाये गये तो 10 लाख प्रजातियाँ विलुप्त हो जायेंगी। श्रीमती फ्रेंकेल ने उम्मीद जतायी कि यह सम्मेलन का सबसे सफल शिखर बैठक होगा।श्री जावड़ेकर ने बताया कि इस बैठक का थीम हिंदी में ‘अतिथि देवो भव’ होगा। अंग्रेजी में बैठक का जो थीम रखा गया है उसका मतलब है - ‘प्रवासी प्रजातियाँ धरती को एक सूत्र में पिरोती हैं और हमें अपने यहाँ उनका स्वागत करना चाहिये।’ उन्होंने कहा कि बैठक में प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन से प्रवासी प्रजातियों के लिए पैदा समस्याओं पर चर्चा होगी। इनमें पक्षी, जानवर, स्तनधारी और जलीय जीव शामिल हैं। हर देश अपना अनुभव साझा करेगा।
उन्होंने कहा कि देश में एक समय चार करोड़ गिद्ध थे जिनकी संख्या आज घटकर चार लाख रह गयी है। उनके संरक्षण के लिए कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं। गोडावण के संरक्षण के लिए राजस्थान में विशेष क्षेत्र बनाये गये हैं जहाँ उनके 11 बच्चे पैदा हुये हैं। चीन से नागालैंड आने वाले अमूर फाल्कन और गंगा डॉल्फिन के संरक्षण के लिए भी योजनायें बनायी गयी हैं।
गाँधीनगर में मुख्य बैठक 17 फरवरी से 22 फरवरी तक होगी। इससे पहले 15 फरवरी और 16 फरवरी को शिखर बैठक से पूर्व की चर्चा होगी जिसमें बैठक के लिए जमीन तैयार की जायेगी।