नयी दिल्ली। केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत ने सोमवार को लोकसभा में कहा कि देश में बुजुर्गों के लिए राष्ट्रीय नीति बनाने का काम जारी है और सरकार ने सामाजिक समता और समरसता के साथ वंचितों और शोषितों को मुख्यधारा में लाने का काम किया है तथा दिव्यांगों, अनुसूचित जाति, जनजाति एवं अन्य वर्गों के बजट में ऐतिहासिक वृद्धि की है। लोकसभा में वर्ष 2020-21 के लिए सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के नियंत्रणाधीन अनुदानों की मांगों पर चर्चा का जवाब देते हुए गहलोत ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की छात्रवृत्ति के संदर्भ में कुछ सदस्यों के सवालों पर कहा कि केंद्र की तरफ से धन की कमी के कारण कोई छात्रवृत्ति नहीं रुकी है और पंजाब समेत कुछ अन्य प्रदेशों में आंतरिक कारणों से ऐसा हुआ है।
मंत्री के जवाब के बाद सदन ने कुछ विपक्षी सदस्यों के कटौती प्रस्तावों को अस्वीकृत करते हुए ध्वनिमत से सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के नियंत्रणाधीन अनुदानों की मांगों को पारित कर दिया। गहलोत ने कहा कि देश में बुजुर्गों और वरिष्ठ नागरिकों के लिए राष्ट्रीय नीति बनाने की दिशा में काम जारी है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में पहले की नीति में सुधार का प्रयास किया जा रहा है। मंत्री ने कहा कि वरिष्ठ नागरिकों के भरण पोषण के लिए एक विधेयक संसद में पेश किया जा चुका है जिसमें उनके लिए डे केयर, वृद्धाश्रम और हर थाने में विशेष प्रकोष्ठ की सुविधा के प्रावधान प्रस्तावित हैं। उन्होंने कहा कि जो वरिष्ठ जन ओल्ड ऐज होम नहीं जा सकते उन्हें एनजीओ के माध्यम से घर में ही सेवा प्रदान करने का प्रावधान भी इसमें है।
गौरतलब है कि संसद के शीतकालीन सत्र में ‘माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण एवं कल्याण (संशोधन) विधेयक, 2019’ प्रस्तुत किया गया था जिसे बाद में सामाजिक न्याय और अधिकारिता से संबंधित संसद की स्थायी समिति को अध्ययन के लिए भेजा गया। गहलोत ने कहा कि मोदी सरकार में उनके विभाग ने अनेक ऐतिहासिक निर्णय लिये हैं और कई कार्यों के लिए अब तक 10 गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाये हैं। उन्होंने कहा कि संप्रग सरकार में 2013-14 तक अनुसूचित जाति-जनजाति का बजट प्रावधान 33800 करोड़ रुपये था जो आज 83256.62 करोड़ हो गया है। गहलोत ने कहा, ‘‘इतना अंतर हर किसी सरकार के वश की बात नहीं है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में इस सरकार ने इस दिशा में कई ऐतिहासिक निर्णय लिये हैं।’’
उन्होंने कहा कि उनके मंत्रालय के अधीन विभिन्न विभागों में 2013-14 तक के बजटीय प्रावधान और आज के बजट आवंटन की तुलना करें तो सिद्ध होता है कि बजट में निरंतर वृद्धि हो रही है। गहलोत ने कहा कि दिव्यांगजनों के लिए भी सरकार ने बजट में ऐतिहासिक वृद्धि की है और दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम बनाकर इसके तहत श्रेणियों को सात से बढ़ाकर 21 कर दिया है। उन्होंने कहा कि दिव्यांगों के लिए इस सरकार ने सरकारी सेवाओं में आरक्षण 3 से 4 प्रतिशत कर दिया है, वहीं उच्च शिक्षा में आरक्षण 3 प्रतिशत से बढ़ाकर 5 फीसद कर दिया है। केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘‘पहले वाली (संप्रग) सरकार भी यह काम कर सकती थी लेकिन उनकी इच्छा और मन:स्थिति ऐसी नहीं थी। मोदी सरकार से पहले दिव्यांगों के शैक्षणिक सशक्तीकरण के लिए कोई काम नहीं हुआ था और पहली बार हमने उनके लिए छात्रवृत्ति की शुरूआत की।’’
उन्होंने पिछले करीब पांच साल में मूक-बधिर बच्चों, खड़े होने तथा चलने में अक्षम लोगों के लिए बांटे गये उपकरणों का ब्योरा देते हुए कहा कि सुगम्य भारत अभियान के तहत राज्य सरकारों के 1100 भवनों, अंतरराष्ट्रीय एवं घरेलू हवाई अड्डों, रेलवे स्टेशनों एवं अन्य स्थानों पर रैंप, लिफ्ट आदि सुविधाएं प्रदान करने का प्रयास किया जा रहा है। गहलोत ने कहा कि दिव्यांगों के लिए पूरे देश में मान्य पहचान पत्र बनाये जा रहे हैं, जिससे उन्हें सभी केंद्रीय और राज्य की योजनाओं का लाभ मिल सकेगा। उन्होंने कुछ राज्यों में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के छात्रों को छात्रवृत्ति नहीं मिलने संबंधी कुछ सदस्यों की टिप्पणी पर कहा कि केंद्र सरकार की तरफ से धन के अभाव की वजह से कोई छात्रवृत्ति नहीं रुकी है और राज्यों में उनकी आंतरिक गड़बड़ियां एवं अन्य कारणों से ऐसा हुआ है। विभिन्न योजनाओं के तहत शून्य बजट होने के कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी के सवाल पर गहलोत ने कहा कि कई योजनाएं उपयोग सिद्ध नहीं हो रहीं, उन्हें अन्य योजनाओं के साथ मिला दिया गया है।