हिरण्यवती एवं कुकुत्था (घाघी) नदियों की होगी कायाकल्प

कुुशीनगर,  बौद्ध धर्म के लोगों के लिए गंगा के समान पवित्र बौद्धकालीन नदी हिरण्यवती व कुकुत्था (घाघी) के दिन अब फिरने वाले है और इसकी कायाकल्प करने के निर्देश दिए गए है।
कुशीनगर में मंगलवार को मंडलायुक्त की अध्यक्षता में हुई बैठक में दोनों नदियों में साल भर पानी प्रवाहित रखने तथा हिरण्यावती नदी में गिरने वाले गंदे नालों पर सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाकर पानी को शुद्घ बनाने का निर्णय लिया गया। इसके लिए डीपीआर बनाने का भी निर्देश दिया गया। मंडलायुक्त जयंत नार्लीकर ने ईओ कुशीनगर प्रेमशंकर गुप्ता से हिरण्यावती नदी में गिरने वाले गंदे नाले के बारे जानकारी ली। ईओ ने बताया कि नदी में नगर के कुल 12 नाले गिरते हैं जिसमें चार नालो से बरसात का पानी जाता है छोटी नाली के पानी को सामान्य तरीके से शोधन कर छोड़ा जाएगा। लेकिन चार बड़े नालों के लिए वाटर ट्रीटमेंट प्लांट की जरूरत पड़ेगी। इस पर कमिश्नर ने डीपीआर बनाने का निर्देश दिया। इसके अलावा बाढ़ खंड और सिंचाई विभाग के अभियंताओं को हिरण्यवती व कुकुत्था (घाघी) नदी में वर्ष भर पानी का प्रवाह बनाए रखने के लिए उपाय खोजने का निर्देश दिया गया। बौद्ध अनुयायियों व भिक्षुओं की सुविधा को लेकर हिरण्यवती नदी के किनारे संपर्क मार्ग व पथ प्रकाश का इंतजाम कराने का भी निर्णय लिया गया।