सी.एस. राजपूत
नई दिल्ली । यह भारतीय संस्कृति ही है कि हमारा देश दूसरे देशों से भिन्न नजर आता है। यह भारत ही है कि जिसमें सभी मौसम व्याप्त हैं। भारत एक समय में हर मौसम का मजा लिया जा सकता है। यह भारतीय संस्कृति है जिसमें अनेकता में भी एकता है। विभिन्न धर्मांे के लोग, विभिन्न भाषाएं होने के बावजूद हम सब एक हैं। भले ही राजनीतिक दल लोगों को जाति और धर्म के नाम पर कितना भी बांटने की कोशिश करते रहें पर भारतीय संस्कृति हमें एक करने में सहायक बनती रहती है। जो लोग आधुनिकता की दौड़ में अपनी संस्कृति को भूलते जा रहे थे, वे आज देख लें कि कोरोना वायरस से बचने के लिए भारतीय संस्कृति ही काम आ रही है। अब पूरा विश्व कहने लगा कि कैरोना वायरस से बचने के लिए हाथ मिलाने के बजाय भारतीयों की तरह हाथ जोड़कर अभिवादन करें। वैसे भी यदि भारतीय संस्कृति के हिसाब से चला जाता तो कोराना जैसी बीमारी पास फटक ही नहीं सकती थी। यह वायरस चीन से आया बताया जा रहा है। लोगों का मानना है कि चीन में जो कुत्ते, बिल्ली, सांप न जाने कौन-कौन से जानवर और पक्षी खाये जाते रहे हैं। इन सबका नतीजा कोराना बीमारी बताई जा रही है। वैसे भी पूरा विश्व प्रकृति का तहस नहस कर ईंट-पत्थरों के शहर बनाने में लगा है। जो जीवन दुनिया में भेजा गया है या फिर जो सुंदरता प्रकृति में समाहित है यदि उसका नाश किया जाएगा तो प्रकृति का रिएक्शन होना स्वभाविक है जो हो रहा है वह बात दूसरी है कि पूरा विश्व इस रिएक्शन को अनदेखा कर रहा है। सब कुछ ताक पर रखकर सभी देश अपना व्यापार बढ़ाने में लगे हंै भले ही इस व्यापार में कितनी भी बर्बादी जान और माल की हो जाए। कोरोना वायरस के अब तक 70 देशों में संदिग्ध मामले सामने आ चुके हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन पहले ही इसे इमर्जेंसी घोषित कर चुका है। इसने कितना भयावह रूप धारण कर लिया है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि दुनिया भर में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या 1,00000 के पार चली गयी है। दुनिया भर में अब तक 3400 से ऊपर लोग मरने की खबरे हैं। कोराना वायरस के प्रकोप से दुनिया के कई देश प्रभावित हैं। चीन में उपजे इस वायरस ने ईरान को भी चपेट में ले लिया है। आलम यह है कि ईरान में वायरस की वजह से 54 हजार कैदियों को जेल से रिहा किया गया है। स्थिति यह है कि स्कूल कॉलेजों को बंद करने के साथ ही मस्जिदों में नमाज अदा करने तक पर पाबंदी लगाई जा रही है। ईरान ने में कोरोना वायरस की वजह से 124 लोगों की मौत होने की खबरे आ रही हैं तथा 4,747 लोगों में संक्रमण की पुष्टि हो चुकी है। विश्व में खौफ का प्रतीक बन चुका कोराना वायरस प्रकृति के विरुद्ध चलने का नतीजा है।
हम कितने भी विज्ञान के दौर में चले जाएं पर यह भलीभांति समझ लेना चाहिए। जिस जीव पर धरती पर भेजा गया है उसे जीने का पूरा अधिकार है। वैसे तो शाकाहारी होना सबसे फायदेमंद होता है। क्योंकि यह माना जाता है कि जिस जानवर या पक्षी को आप खा रहे हैं उससे कुछ भी बीमारी हो सकती है। वैसे भी वह मांस कब -कब का है, यह भी नहीं पता होता है। यदि सर्वे करें तो शाकाहारी व्यक्ति से ज्यादा गंभीर बीमारी से ग्रसित मांसाहारी लोग होते हैं। हां देश ही नहीं पूरे विश्व में बकरा और मूर्गा खाने का प्रचलन रहा है। इसके पीछे तर्क यह दिया जाता था कि बकरा जंगलों में जो चरता था उसमें जड़ी-बूटियां भी होती थीं। जहां तक मूर्गे की बात है तो जो लोग मूर्गे पालते थे तो वे उसे शुद्ध अनाज खिलाते थे। वह बात दूसरी है कि आज की तारीख में मुर्गी फार्म ने दूसरा रूप ले लिया है। यह माना जाता है कि अधिकतर गंभीर बीमारियां सांस से ही होती हैं। कोराना वायरस का भी ऐसा ही है। इसका वायरस सांस के द्वारा फैलता है। यह हमारी देश की संस्कृति ही रही है कि हम दूर हाथ जोड़कर अभिवादन करने में विश्वास करते रहे हैं। हाथ मिलाने का प्रचलन भी हमारे समाज में पश्चिमी सभ्यता से आया है।
एक व्यक्ति के एक स्त्री के साथ जीवन काट देने की परंपरा हमारे देश में रही है। पश्चिमी देशों में जहां बड़े समारोहों में एक दूसरे को किस करने का प्रचलन है हम लोग हाथ जोड़कर नमस्कार करते हैं। सेक्स के मामले में भी हमारा देश बहुत सुरक्षित रहा है। यदि गंभीर बीमारियों की बात करें तो लगभग सभी बीमारी दूसरे देशों से ही आई हैं। चाहे एड्स हो, प्लेग हो या फिर यह कोरोना, दूसरे देशों की ही देन और ये सब बीमारियां प्रकृति के विरुद्ध चलने पर फैली हैं।
भारत में भी जिन लोगों ने अपनी संस्कृति को त्यागकर पश्चिमी सभ्यता को अपनाने शुरू किया, उनमें से ही अधिकतर गंभीर बीमारियों से ग्रसित हुए हैं। अभी भी आप सर्वे करें तो तो गरीब, किसान, मजदूर को गंभीर बीमारियां कम मिलेंगी। क्योंकि ये लोग अभी भी भारतीय संस्कृति से ओत-प्रोत हैं। कोराना वायरस के दक्षिण कोरिया में 6000 से अधिक मामले सामने आए हैं, जो चीन के बाद सर्वाधिक है। अमेरिकी लोगों के ऊपर तो कोरोना का डर इतना व्याप्त है कि यहां के लोगों को लग रहा है कि कोरोना महामारी का रूप ले सकता है।
इन आशंकाओं के बीच यहां के लोग डिब्बा बंद खाने-पीने के सामानों की स्टोरेज करने में लगे हैं। अमेरिका के उत्तर पश्चिमी हिस्से में कोरोना वायरस संक्रमण के मामले बढ़ने और मौत का आंकड़ा 12 पहुंचने के बाद अमेरिकी संसद ने इस विषाणु से लड़ने के लिए 8.3 अरब डॉलर का आपातकालीन 'व्यय विधेयकÓ पारित किया है जिस पर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप हस्ताक्षर कर सकते हैं। कोरोना वायरस की वजह से इटली में बुजुर्गों की बड़े पैमाने पर जान जा रही है। यूरोप में कोरोना वायरस इटली से फैला है और अब तक इससे इटली में 148 लोगों की मौत हो चुकी है। जापान के बाद बुजुर्गों की सबसे ज्यादा संख्या इटली में है।
कोरोना के सामने दुनिया ने जोड़े हाथ, अपनाई जा रही 'अभिवादनÓ की भारतीय संस्कृति