कोरोना संकट: राज्यसभा में प्रधानमंत्री के संदेश के साथ दिखायी गयी एकजुटता, पारित किया गया प्रस्ताव


नयी दिल्ली। कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए सरकार के प्रयासों का समर्थन करते हुए शुक्रवार को राज्यसभा में एक प्रस्ताव पारित कर इस बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषित उपायों के साथ एकजुटता दिखायी गयी और इस संकट पर विजय पाने का संकल्प व्यक्त किया गया। सरकार ने उच्च सदन में यह स्पष्ट किया कि संसद सदस्य ऐसे समय में अपने दायित्वों का पालन कर देश को ‘‘नेतृत्व’’ का परिचय दे रहे हैं क्योंकि बजट पारित करना भी एक अनिवार्यता है। उपसभापति हरिवंश ने यह प्रस्ताव पढ़ते हुए कहा, ‘‘आज दुनिया कोरोना वायरस के संकट से जूझ रही है। भारत ने सभी जरूरी उपाय किए हैं। कल प्रधानमंत्री ने जनता के साथ संवाद किया। भयभीत होने की कोई वजह नहीं, बल्कि सावधानी बरतने की अपील कर उन्होंने जनता का विश्वास बढ़ाया। कोरोना संकट से बचने के अनेक उपाय और कार्यक्रम उन्होंने बताये। रविवार 22 मार्च को जनता कर्फ्यू का पालन करने की उन्होंने अपील की।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ यह संसद सरकार के संकल्प के साथ है। सब मिलकर कोरोना संकट का मुकाबला करेंगे, (संसद) यह विश्वास प्रकट करती है।’’ रेल मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि आज पूरे विश्व में न केवल भारत के नेतृत्व बल्कि देश के अस्पतालों, डाक्टरों, नर्सों, एयरलाइनों, रेलवे के कर्मियों सहित इसके विभिन्न संस्थानों की सराहना की जा रही है। इस समय देश में आम भावना इस संकट से लड़ने और इस पर विजय पाने की है। उन्होंने इस मामले में मीडिया की संतुलित एवं सकारात्मक भूमिका की भी सराहना की। उन्होंने कांग्रेस के आनंद शर्मा द्वारा इस संबंध में उठाये गये एक मुद्दे का जिक्र करते हुए कहा कि महामारी कानून और सरकार की नयी अधिसचूना में यह प्रावधान है कि आवश्यक सेवाओं में शामिल लोगों को छूट दी गयी है। उन्होंने कहा कि मान लीजिए यदि कोई 65 वर्ष से अधिक आयु वाला डाक्टर सेवा देना चाहता है तो उसे इसके तहत छूट दी जाएगी। उन्होंने कहा, ‘‘संसद भी अपने दायित्व का पालन कर रही है। आज बजट संसद के समक्ष विचाराधीन है। वित्त विधेयक अभी दोनों सदनों में पारित होना है। यह भी एक बड़ी जिम्मेदारी है क्योंकि एक अप्रैल जल्द ही आने वाला है और तब तक हमें बजट पारित कर लेना है। साथ ही साथ पूरे देश को यह संदेश जाता है... संसद सदस्यों द्वारा नेतृत्व दिखाया जा रहा है।’’ इससे पहले सदन में कांग्रेस के उप नेता आनंद शर्मा ने कहा कि प्रधानमंत्री ने कल जो कहा, उसका हम पूर्ण रूप से समर्थन करते हैं। पूरा देश इस पर एक है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने जो कहा, जो प्रोटोकाल होने चाहिए, देश उसका पालन कर रहा है। भारत की बहुत बड़ी आबादी है इसलिए हमें सतर्क रहना है खासतौर पर सामुदायिक प्रसार (को रोकने के मामले) और सामाजिक रूप से दूरी बनाये रखने के मामले में। यह काम दुनिया भर में हो रहा है और हमारे यहां भी किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि भारत में महामारी कानून लागू हो चुका है। देश में धारा 144 लगायी जा चुकी है। उन्होंने कहा कि सरकार ने कल एक अधिसूचना निकालकर कहा कि 65 साल से अधिक आयु के लोगों को घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए। उन्होंने सरकार से सवाल किया कि क्या यह अधिसूचित कानून हम (सांसदों) पर लागू नहीं होगा? क्या हम कानून से ऊपर हैं? हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि वह इस मुद्दे को कोई विवाद नहीं बनाना चाहते हैं और हर कदम में पूरी तरह सरकार के साथ हैं। कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने सुबह बैठक शुरू होने पर भी यह मुद्दा उठाया था। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस को लेकर महामारी कानून लागू कर दिया गया है। उन्होंने सवाल किया कि क्या संसद को इस कानून के प्रावधानों से छूट प्राप्त है क्योंकि कानून के तहत 65 साल से ज्यादा आयु वाले लोगों के घरों से बाहर आने पर रोक है। शर्मा ने शून्यकाल में यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि संसद देश के कानूनों का सम्मान करने के संबंध में क्या उदाहरण पेश कर रही है। उन्होंने कहा कि वह (खुद शर्मा) और सभापति एम वेंकैया नायडू 65 साल से अधिक उम्र के हैं। इस पर सभापति नायडू ने कहा कि नियम उन सरकारी कर्मचारियों पर लागू नहीं होते जो ड्यूटी पर हैं। उन्होंने कहा, ‘‘भगवान कृपा करें, आपको या मुझे कुछ नहीं होगा।’’ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरूवार रात राष्ट्र के नाम संबोधन में कोरोना वायरस से उत्पन्न संकट की चर्चा करते हुए सरकार द्वारा इससे निबटने के लिए उठाये गये कदमों की जानकारी दी थी। उन्होंने आगामी रविवार को देशवासियों से ‘‘जनता कर्फ्यू’’ का पालन करने का आह्वान भी किया।