रांची। कोरोना वायरस को लेकर आम पब्लिक में ही नहीं, बल्कि कोरोना से पीड़ित मरीजों में भी हड़कंप मचा हुआ है।वे अस्पताल से इलाज कराए बगैर भाग खड़े हो रहे हैं जिससे आम नागरिकों में कोरोना वायरस का खतरा बढ़ता जा रहा है। यह स्वास्थ्य विभाग के प्रबंधन का फेल होने का नतीजा स्पष्ट दिख रहा है। झारखंड के सबसे बड़े अस्पताल राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान, रिम्स रांची से अब तक कोरोना वायरस के 90 फीसद संदिग्ध बिना बताए भाग खड़े हुए हैं। रिम्स प्रबंधन को जांच के लिए सैंपल देने के बाद से गायब इन संदिग्धों को लेकर शासन-प्रशासन में हड़कंप मच गया है। माना जा रहा है कि टेस्ट पॉजीटिव पाए जाने तक ऐसे संदिग्ध कई लोगों को अपनी चपेट में ले लेंगे। झारखंड राज्य में महामारी कानून लागू हाेने के बाद रांची, रामगढ़, गिरिडीह, चतरा, गुमला, धनबाद और चाईबासा समेत कई शहरों से कोरोना के अधिसंख्य संदिग्ध भूमिगत हो गए हैं। ऐसे फरार संदिग्धाें की पहचान करने को लेकर स्वास्थ्य विभाग ने आम लोगों को अलर्ट किया है। इधर बुधवार को लातेहार सदर अस्पताल में कोरोना वायरस का संदिग्ध पाया गया है। मरीज को चिकित्सकों ने वार्ड में भर्ती कर इलाज शुरू कर दिया है। लातेहार जिले के बरवाडीह प्रखंड अंतर्गत गणेशपुर निवासी शकील उरांव पिता हरि उरांव उम्र (20 वर्ष) में कोरोना वायरस से संक्रमण के लक्षण देखे गए। कोरोना वायरस के संदिग्धों को राज्य भर से जांच के लिए रिम्स भेजा जा रहा है। ऐसे संदिग्ध आइसोलेशन वार्ड में भर्ती होकर सैंपल देने के बाद अस्पताल प्रबंधन को बगैर सूचना दिए फरार हो जा रहे हैं। मेडिकल टर्म में इसे लामा (लिव अगेंस्ट मेडिकल एडवाइस) कहा जाता है। वे सैंपल देने के बाद अपनी रिपोर्ट का भी इंतजार नहीं कर रहे। रिम्स में अब तक 32 संदिग्ध का सैंपल लिया जा चुका है, जिनमें से 90 फीसद संदिग्ध लामा हो चुके हैं। ऐसे लामा होने वाले संदिग्ध मरीजों की रिपोर्ट पॉजिटिव आती है तो उनसे संपर्क में आने वालों के लिए भी यह खतरा है।
रांची के रिम्स अस्पताल से 90 फीसद भागे कोरोना वाइरस के संदिग्ध, मचा हड़कंप