नयी दिल्ली उच्चतम न्यायालय ने लखनऊ में नागरिकता (संशोधन) विधेयक (सीएए) विरोध के दौरान उत्पात मचाने वाले लोगों के नाम के पोस्टर और होर्डिंग हटाने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के स्वत: संज्ञान वाले आदेश में गुरुवार को कोई भी हस्तक्षेप नहीं किया और अगले हफ्तों में इस मामले की सुनवाई उच्चतम न्यायालय की वृहद पीठ करेगी।
न्यायमूर्ति यू यू ललित की अध्यक्षता वाली पीठ ने गुरुवार को एक आदेश में कहा, “ अगले हफ्तों में इस मामले की सुनवाई उच्चतम न्यायालय की वृहत पीठ करेगी। ”
पीठ ने मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबड़े से आग्रह किया कि उत्तर प्रदेश में सीएए के विरोध में प्रदर्शन करने वाले लोगों के नाम हटाने के मामले पर सुनवाई के लिए एक वृहद पीठ का गठन किया जाए।
पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार को यह कहकर फटकार भी लगाई कि ऐसा कोई भी कानून नहीं है जो राज्य सरकार की इस कार्रवाई का समर्थन करता हो। दरअसल इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को सीएए विरोधियों के नाम वाले पोस्टर और होर्डिंग हटाने का आदेश दिया था जिसे उत्तर प्रदेश सरकार ने उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी थी।
पीठ ने इस दौरान उन लोगों के पक्ष को भी सुना जिनके नाम सीएए विराेध प्रदर्शन रैली में पोस्टरों और होर्डिंग पर लगाए गए थे।
इस मामले में एक आरोपी के वकील कोलिन गोजांलवेस ने उच्चतम न्यायालय को कहा,“ यह मेरे मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन है और यह मुझे भीड़ की तरफ से पीट-पीट कर मार डालने का खुला निमंत्रण है।”
इस बीच, राज्य सरकार की तरफ से पेश हुए सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि राज्य सरकार का यह फैसला उचित है और आरोपियों के नाम पोस्टरों तथा होर्डिंग पर लिखा जाना कानून और प्रावधानों के तहत किया गया है।