बिजली के बिलों को ही ठीक कराते रहे उपभोक्ता

राष्ट्रीय पहल संवाददाता
गुरुग्राम। प्रदेश सरकार ने बिजली व्यवस्था सुचारु रुप से चलाने के लिए
वर्ष 2019 में बड़े-बड़े दावे किए, लेकिन शहरी व ग्रामीण क्षेत्र के
उपभोक्ताओं को बिजली कटौती का सामना फिर भी करना पड़ा। गर्मी के दिनों
में तो हालात और भी खराब हो गए। जहां घंटों-घंटों बिजली गायब रही। बिजली
निगम के समक्ष सबसे बड़ी समस्या बिजली चोरी की भी रही। हालांकि निगम ने
बिजली चोरी को रोकने के लिए पर्याप्त प्रयास भी किए, लेकिन कर्मियों को
उपभोक्ताओं के कोपभाजन का शिकार भी होना पड़ा।
बिजली निगम ने बिजली चोरी पर अंकुश लगाने के लिए सख्ती भी दिखाई। जहां
निगम को लोगों के विरोध का सामना भी करना पड़ा। बिजली निगम ने शहरी
क्षेत्र के साथ लगते ग्रामीण क्षेत्रों को भी चिन्हित किया था कि जहां
भारी लाईन लोस होता है यानि कि वहां पर बिजली चोरी अधिक होती है। बिजली
की चोरी रोकने के लिए बिजली निगम की विजिलेंस टीम ने नियमित रुप से कई
माह तक छापामारी भी की। पॉश इलाकों में भी बिजली की चोरी पकड़ी गई और
उपभोक्ताओं से भारी जुर्माना भी वसूला गया।
उपभोक्ताओं को बिजली के बिलों में गड़बडिय़ों के कारण भी पूरे साल परेशान
रहना पड़ा। खपत से ज्यादा के बिलों ने उपभोक्ताओं को परेशान करके रख
दिया। उपभोक्ताओं को बिल ठीक कराने के लिए बिजली निगम के कार्यालयों के
चक्कर काटने पड़े। बिजली निगम ने उपभोक्ताओं को बिजली की नियमित आपूर्ति
के लिए ट्रांसफार्मर सब स्टेशन और फीडर के मेंटीनेंस का काम भी शुरु
किया, जिससे बिजली आपूर्ति में कुछ सुधार अवश्य हुआ। बिजली के लंबित पड़े
बिलों के सरचार्ज में भी बिजली निगम द्वारा उपभोक्ताओं को छूट दी गई,
ताकि लंबित पड़ा भुगतान निगम को मिल सके। उपभोक्ताओं ने इस योजना का भी
भरपूर लाभ उठाया।
कुछ गगनचुंबी इमारतों में जहां बिजली के कनेक्शन नहीं थे और सोसायटी अपने
सदस्यों को डीजल आधारित बिजली उपलब्ध कराती है, जिससे प्रदूषण फैलता है।
गौरतलब है कि कई नई सोसायटियों में बिजली के कनेक्शन नहीं हैं। सोसायटीज
को डीजल के जनरेटरों के सहारे ही बिजली उपलब्ध कराई जाती है। बिजली निगम
बिल्डर्स, हुडा व टाऊन कंट्री प्लानिंग पर नए कनेक्शन के लिए दबाव नहीं
बना सका, लेकिन बिल्डर से त्रस्त सोसायटी वासियों को बिजली के नए कनेक्शन
व्यक्तिगत रुप से देने की पहल भी की गई।
बिजली निगम ने गुडग़ांव जिले में प्रतिमाह करीब 500 करोड़ रुपए से अधिक
बिजली बिलों के रुप में उपभोक्ताओं से वसूले। औसतन करीब एक हजार मेगावाट
और 2 करोड़ यूनिट प्रतिदिन बिजली की जिले में खपत हुई बताई गई। गांवों
में 400 घंटा बिजली उपलब्ध कराने के लिए म्हारा गांव जगमग योजना से
गांवों को जोड़ा गया।
प्रदेश सरकार की शहरों में 24 घंटे बिजली उपलब्ध कराने की योजना भी पूरी
नहीं हो सकी। सरकार ने 4 वर्ष पूर्व स्मार्ट सिटी योजना की घोषणा की थी।
बिजली की खपत कम करने के लिए स्ट्रीट लाईट की जगह एलईडी स्ट्रीट लाईट नगर
निगम द्वारा लगाई गई जो कार्य आज भी जारी है। बिजली निगम की सेवाएं
ऑनलाईन की गई। उद्योगों में भी गर्मियों के समय नियमित बिजली आपूर्ति
नहीं हो पाई। उद्यमियों को जनरेटरों के द्वारा ही फैक्ट्रियां चलानी
पड़ी, जिसका उत्पाद की कीमत पर भी असर पड़ा। वहीं दूसरी ओर प्रदूषण
फैलाने को लेकर एनजीटी ने जनरेटरों पर भी पाबंदी लगाने के आदेश जारी किए।