हेमंत नहीं, दुर्गा को बनना था CM, पिता की सीख और सहयोगी के साथ से निशाने पर बैठा तीर

 


झारखंड विधानसभा की 81 सीटों पर हुए चुनाव की गिनती जारी है। शुरूआती रूझानों में प्रदेश में जेएमएम-कांग्रेस गठबंधन की सरकार बनती दिख रही है। जेएमएम गठबंधन को जेएमएम 24, कांग्रेस 12 और आरजेडी 5 सीटों पर आगे हैं। जिसके बाद झारखंड मुक्ति मोर्चा के हेमंत सोरेन का मुख्यमंत्री बनना लगभग तय माना जा रहा है। हेमंत सोरेन इस बार 2 जगहों (बरहेट और दुमका) से चुनाव मैदान में उतरे। जिसमें एक सीट पर तो वो आगे चल रहे हैं वहीं दूसरी सीट पर रघुवर सरकार की मंत्री लुईस मरांडी से पीछे चल रहे हैं। लोकसभा चुनाव में जेएमएम चीफ शिबू सोरेन भी दुमका से हार गए थे।शिबू सोरेन के पुत्र और पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन बरहेट सीट पर आगे चल रहे हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में दुमका में हार के बावजूद जेएमएम के पास यह गढ़ बरकरार रहा था। सोरेन को जेएमएम-कांग्रेस-आरजेडी गठबंधन की तरफ से सीएम फेस के रूप में देखा जा रहा है। बीजेपी की तरफ से य़हां सिमोन मालतो प्रत्याशी हैं जिनके लिए पीएम मोदी ने रैली भी की थी।


हेमंत सोरेन झारखंड की राजनीति में बड़ा नाम है और उनकी गिनती झारखंड के कद्दावर नेताओं में होती है। हेमंत झारखंड के गुरूजी के नाम से प्रसिद्ध पूर्व सीएम और झारखंड मुक्ति मोर्चा के संस्थापक शिबू सोरेन के बेटे हैं। झारखंड मुक्ति मोर्चा प्रमुख शिबू सोरेन के पुत्र हेमंत सोरेन हमेशा से अपने बड़े भाई दुर्गा सोरेन की छाया में ही रहे। दुर्गा को ही शिबू सोरेन का स्वभाविक उत्तराधिकारी माना जाता था, लेकिन कुछ वर्षों पहले हुई उनकी मृत्यु ने उनके छोटे भाई हेमंत को राज्य की राजनीति के केंद्र में ला खड़ा किया।। उनके बेटे हेमंत सोरेन अभी झारखंड के मुख्यमंत्री हैं। उनके बड़े बेटे दुर्गा सोरेन की पत्नी भी विधायक रहीं हैं और लगातार चुनाव लड़ती रहीं हैं। 39 साल के दुर्गा सोरेन सन् 2009 में अपने बिस्तर में मृत अवस्था में मिले थे। वे उस वक्त विधायक के पद पर थे। 2009 में हेमंत सोरेन अपने बड़े भाई दुर्गा सोरेन की अचानक हुई मौत की वजह से राजनीति में आए। हेमंत का जन्म 10 अगस्त 1975 को रामगढ़ जिले के सुदूर नेमरा गांव में हुआ था। उनके दो बेटे हैं, उनका नाम निखिल और अंश हैं। जबकि उनकी पत्नी कल्पना सोरेन निजी स्कूल की संचालक हैं। हेमंत के राजनीति में आने की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है। उनकी मां उन्हें इंजीनियर बनाना चाहती थी।


लेकिन किस्मत और हेमंत को कुछ और ही करना था। उन्होंने 12वीं तक ही पढ़ाई की और फिर इंजीनियरिंग में दाखिला तो लिया मगर बीच में ही पढ़ाई छोड़ दी। 2003 में उन्होंने छात्र राजनीति में कदम रखा। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। हेमंत सोरेन 2009 में राज्यसभा के सदस्य चुने गए। बाद में उन्होंने दिसंबर 2009 में हुए विधानसभा चुनाव में संथाल परगना के दुमका सीट से जीत हासिल की और राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद जब 2010 में भारतीय जनता पार्टी के अर्जुन मुंडा की सरकार बनी तो समर्थन के बदले हेमंत सोरेने को उप मुख्यमंत्री बनाया गया था। हालांकि जनवरी 2013 को झामुमो की समर्थन वापसी के चलते बीजेपी के नेतृत्व वाली अर्जुन मुंडा की गठबंधन सरकार गिरी थी। 13 जुलाई 2013 को हेमंत सोरेन ने झारखंड के 9वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की। 


भौगोलिक रूप से झारखंड तीन से चार हिस्सों में बंटा है। इनमें एक संथाल परगना है। ये क्षेत्र पश्चिम बंगाल से लगा हुआ है। यहां पर झारखंड मुक्ति मोर्चा का वर्चस्व है। जमशेदपुर के आसपास का इलाका कोलहन है।