केजरीवाल के खिलाफ उम्मीदवार को लेकर भाजपा, कांग्रेस असमंजस में


नयी दिल्ली, 20 जनवरी (वार्ता)। दिल्ली विधानसभा के आठ फरवरी को होने वाले चुनाव के लिए नामांकन पत्र दाखिले का अब केवल एक दिन शेष है लेकिन 21 वर्ष से सत्ता से बाहर रही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस अभी तक मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ उम्मीदवार तय नहीं कर पाई है।
भाजपा ने 57 सीटों पर उम्मीदवार घोषित किए हैं और दो सीटों के लिए उसका श्री नीतीश कुमार नीत जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) से समझौता हुआ है। बाकी 11 सीटों पर पार्टी ने अपने उम्मीदवार अभी घोषित नहीं किए हैं जिनमें नयी दिल्ली सीट भी है। नयी दिल्ली सीट से श्री केजरीवाल एक बार फिर मैदान में हैं। वर्ष 2013 में पहली बार चुनाव मैदान में उतरे श्री केजरीवाल ने नयी दिल्ली सीट से तीन बार की मुख्यमंत्री रही शीला दीक्षित को हराया था। भाजपा ने अभी नयी दिल्ली सीट से अपना उम्मीदवार घोषित नहीं किया है।
कांग्रेस को 2015 के चुनाव में एक भी सीट नहीं मिली थी और वह इस बार अपना आधार बढ़ाने के लिए जी तोड़ प्रयास कर रही है। पार्टी ने 54 उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं और चार सीटों पर उसका लालू प्रसाद यादव की राष्ट्रीय जनता दल (राजग) से समझौता है लेकिन पार्टी ने भी नयी दिल्ली सीट से कौन उम्मीदवार होगा, इसके अभी पत्ते नहीं खोले हैं।
कांग्रेस और भाजपा दोनों ही दलों में श्री केजरीवाल के सामने उम्मीदवार उतारने को लेकर पेंच फंस हुआ है। कांग्रेस की तरफ से इस सीट पर श्रीमती दीक्षित की बेटी लतिका दीक्षित को उम्मीदवार बनाने की अटकलें थीं लेकिन बताया जा रहा है कि वह चुनाव लड़ने के मूड में नहीं हैं।
भाजपा की तरफ से श्री केजरीवाल को उनके विधानसभा क्षेत्र में ही घेरे रखने के लिए मंथन चल रहा है। मीडिया में पिछले दिनों श्री केजरीवाल के पूर्व निकटतम सहयोगी और मंत्री रहे कपिल मिश्रा का नाम जोरों से चर्चा में आया था। वर्ष 2015 में उत्तर पूर्वी दिल्ली के करावल नगर से आम आदमी पार्टी(आप) के टिकट पर चुनाव जीते श्री मिश्रा काे भाजपा ने माडल टाउन से उम्मीदवार बनाया है। इसलिए पार्टी अब किसी और को ही श्री केजरीवाल के समक्ष उतारेगी। श्री केजरीवाल के सामने भाजपा का उम्मीदवार कौन होगा, इनमें उनकी ही पूर्व सहयोगी शाजिया इल्मी के अलावा पिछले चुनाव में उम्मीदवार रही नुपुर शर्मा के नाम की भी चर्चा है।
पिछले विधानसभा चुनाव में श्री केजरीवाल ने लगभग 26 हजार वोटों से जीत हासिल की थी ।