मकर संक्रांति के दिन पतंग उड़ाने की परंपरा आज भी है बरकरार

 



पटना,13 जनवरी (वार्ता) । मकर संक्रांति के दिन उमंग, उत्साह और मस्ती का प्रतीक पतंग उड़ाने की लंबे समय से चली आ रही परंपरा मौजूदा दौर में काफी बदलाव के बाद भी बरकरार है।
आधुनिक जीवन की भाग-दौड़ में भले ही लोगों में पतंगबाजी का शौक कम हो गया है लेकिन मकर संक्रांति के दिन पतंग उड़ाने की परंपरा आज भी बरकारार है। इसी परंपरा की वजह से मकर संक्रांति को पतंग पर्व भी कहा जाता है। मकर संक्रांति पर पतंग उड़ाने का वर्णन रामचरित मानस के बालकांड में मिलता है। तुलसीदास ने इसका वर्णन करते हुए लिखा है कि ‘राम इन दिन चंग उड़ाई, इंद्रलोक में पहुंची जाई।’ मान्यता है कि मकर संक्रांति पर जब भगवान राम ने पतंग उड़ाई थी, जो इंद्रलोक पहुंच गई थी। उस समय से लेकर आज तक पतंग उड़ाने की परंपरा चली आ रही है।
वर्षों पुरानी यह परंपरा वर्तमान समय में भी बरकरार है। आकाश में रंग-बिरंगी अठखेलियां करती पतंग को देख हर किसी का मन पतंग उड़ाने के लिए लालायित हो उठता है। प्रत्येक वर्ष 14 जनवरी को मकर संक्रांति के दिन लोग चूड़ा-दही खाने के बाद मकानों की छतों तथा खुले मैदानों की ओर दौड़े चले जाते हैं तथा पतंग उड़ाकर दिन का मजा लेते हैं।
मकर संक्रांति के दिन पतंगबाजी करते लोगों का उत्साह देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि आज मकर राशि (मकर रेखा पर) में प्रवेश कर चुके सूर्य को पतंग की डोर के सहारे उत्तरी गोलार्द्ध (कर्क रेखा) की ओर खींचने का प्रयास कर रहे हों। ताकि, उत्तर के लोग भी ऊर्जा के स्राेत सूर्य की कृपा से धन-धान्य से परिपूर्ण हो सकें।मकर संक्रांति आने के साथ ही राजधानी पटना समेत पूरे बिहार में जगह-जगह पतंग की दुकानें सज जाती है। इन दुकानों पर दिनभर पतंग और धागा खरीदने वालों की भीड़ लगी रहती है। वर्तमान में कागज एवं प्लास्टिक की पतंगों का प्रचलन है। इनकी कीमत एक रुपए से पंद्रह रुपए तक है। पतंग खरीददारी का जुनून युवा एवं बच्चों में काफी देखा जा रहा है।
राजधानी पटना के पतंग के एक थोक व्यापारी ने बताया कि पहले फिल्म स्टार की तस्वीर वाली पतंगों की मांग ज्यादा रहती थी लेकिन अब इनकी जगह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय जनता दल अध्यक्ष (राजद) लालू प्रसाद यादव जैसी राजनीतिक हस्तियों की फोटो वाली पतंगों ने ले ली है। उन्होंने बताया कि वैसे इस साल बच्चे कार्टून चरित्रों जैसे छोटा भीम, स्पाइडर मैन और युवा लोग ‘दिल’ और ‘आई लव यू’ वाली पतंगों के प्रति आकर्षित होते दिख रहे हैं।
व्यवसायी ने बताया कि श्री नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से उनकी तस्वीर वाली पतंगों की बिक्री में इजाफा हुआ है। इन पतंगों की कीमत 50 रुपए तक है। इनमें से कुछ पतंगों में प्रधानमंत्री लोगों को नववर्ष की शुभकामनाएं देते नजर आ रहे हैं, तो कुछ में उनके चित्र के नीचे 'महानायक' लिखा हुआ है। उन्होंने बताया कि पतंगों की कीमत आठ, दस और पंद्रह रुपए के बीच है लेकिन कई बार इनकी कीमतें गुणवत्ता पर भी निर्भर करती हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ फिल्मी सितारों में सलमान खान, शाहरुख खान, कैटरीना कैफ और करीना कपूर की तस्वीर वाली पतंगों की भी काफी मांग है।
बाजार में पांच रुपये से लेकर 50 रुपये तक की पतंग बिक रही हैं जबकि लटाई (परेता या चकरी) की कीमत 10 से 300 रुपये तक है। पतंग उत्तर प्रदेश के बनारस, लटाई मुरादाबाद और मांझे लखनऊ से मंगाए जाते हैं। चीन के धागे वाली लटाई 50 रुपये से लेकर 800 रुपये तक में उपलब्ध हैं। उन्होंने बताया कि कटप्‍पा ने बाहुबली को क्यों मारा जैसी पतंगें भी काफी बिक रही है। इनकी कीमत दो रुपये से लेकर 15 रुपये तक है। बाहुबली के पोस्टर वाली पतंग की काफी मांग है। यह बच्चों को काफी पसंद आ रही है।राजधानी पटना की दुकानों में बच्चों के लिए विशेष रूप से तैयार की गई पतंगें सभी का मन मोह रही है। पॉलीथिन से बनी इन पंतगों पर फिल्म एवं कार्टून के पात्र सहित बच्चों के प्रिय कार्यक्रमों का संदेश देने वाली इन पतंगों की बिक्री शुरू हो गई है। पतंग-मांझे की दुकानों पर सजी बाहुबली, डोरेमोन, टॉम एंड जेरी, एंग्री बर्ड, मोटू-पतलू, हिन्दुस्तान, बेन-10, हैप्पी न्यू ईयर के चित्रों वाली रंगीन पतंगें बच्चों को लुभा रही हैं। वहीं, कागज से बनी छोटी पतंगें भी बच्चों को खासा आकर्षित कर रही है।
पतंग के एक अन्य थोक व्यापारी ने कहा कि युवाओं में भी मकर संक्रांति के दिन पतंग उड़ाने का क्रेज जोरों पर है। अपने प्यार का इजहार करने के लिए युवा वर्ग दिल और आई लव यू वाली पतंगों के प्रति आकर्षित होते दिख रहे हैं। कुछ वर्षो से पटना में पतंग का कारोबार काफी बढ़ा है। पटना के गंगा दियारा क्षेत्र में पतंग उत्सव मनाने की राज्य सरकार की पहल के बाद लोगों का रुझान इस ओर तेजी से बढ़ा है। पटना सहित कई इलाकों में पतंग प्रतियोगिताएं भी शुरू हुई हैं। हालांकि इस बार गंगा दियारा में पतंग महोत्सव का आयोजन नहीं किया जा रहा है।
कदमकुआं के पतंग व्यवसायी ने बताया कि मकर संक्रांति पर पतंग उड़ाने का रिवाज रहा है लेकिन पांच वर्षों से पतंग उड़ाने वाले लोगों की संख्या में वृद्धि हुई है। पटना की मंडियों में बिक्री के लिए मांझा और धागा बरेली एवं लखनऊ से आता है। ये धागे रंग-बिरंगे होने के साथ टिकाऊ और धारदार होते हैं। इस कारण इनकी मांग ज्यादा है। वहीं, काफी संख्या में पतंगों का निर्माण पटना सिटी के मच्छरहट्टा में होता है। यहां से ही पतंग विभिन्न राज्यों में बिक्री के लिए जाता है। वहीं, लटाई का निर्माण भी पटना में होता है। कमाची और लटाई बनाने में कारीगर बांस का प्रयोग करते हैं। हालांकि बांस की कमाची कोलकाता के मटियाबुज से पटना लाई जाती है।