केवल विकास या केवल संरक्षण नहीं, संतुलन की जरूरत: जावडेकर

गांधीनगर 16 फरवरी  पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने रविवार को कहा कि केवल विकास या केवल पर्यावरण तथा वन्य जीवों के संरक्षण की नीति काम नहीं करेगी इसलिए दोनों में संतुलन बनाये रखने की जरूरत है।
प्रवासी जीवों पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (सीएमएस) के सदस्य देशों की बैठक के लिए यहां आये श्री जावड़ेकर ने एक उच्च स्तरीय चर्चा के दौरान यह बात कही। उन्होंने कहा कि सरकार की नीतियां प्रवासी जीवों के संरक्षण में मददगार हो सकती हैं। आंध्र प्रदेश के कोल्लेरू झील क्षेत्र का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा ​कि वहां काफी संख्या में प्रवासी पक्षी आते थे, लेकिन इससे स्थानीय लोगों को परेशानी होती थी और उनकी आजीविका के साधन भी प्रभावित हो रहे थे। सरकार ने उस इलाके में भूमि इस्तेमाल की श्रेणी में परिवर्तन किया जिससे लोगों को आजीविका भी मिल रही है और पक्षियों को भी परेशानी नहीं हो रही है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा “किसी भी तरह की अतिशयवादी नीति सफल नहीं हो सकती। सिर्फ विकास और संरक्षण नहीं, यह काम नहीं करेगा। सिर्फ संरक्षण और विकास नहीं, यह भी काम नहीं करेगा।”
सीएमएस के सदस्य देशों की 13वीं बैठक सोमवार से शुरू हो रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये इसका उद्घाटन करेंगे। यह बैठक 22 मार्च तक चलेगी जिसमें प्रवासी पक्षियों से जुड़े मुद्दों पर कई अलग-अलग सत्रों का आयोजन किया जायेगा। आज बैठक से पहले कई चर्चाएं हुईं।
सीएमएस की कार्यकारी ​सचिव एमी फ्रेंकल ने बताया कि प्रवासी जीवों पर पिछले साल पहली वैश्विक रिपोर्ट जारी हुई। यह रिपोर्ट उत्साहवर्धक नहीं है। एक दशक में 10 लाख प्रजातियों के खो जाने का खतरा है। प्रवासी जीवों और उनके आवास की स्थिति भी ठीक नहीं है। ‘विलुप्त होने की कगार पर’ की श्रेणी में शामिल जीवों की संख्या भी तेजी से कम हो रही है।
उन्होंने इस बात पर चिंता जतायी कि प्रवासी जीवों के संरक्षण के लिए कुछ देशों ने अपनी तरफ से लक्ष्य तय किये हैं, लेकिन अब तक देशों के बीच आपसी सहयोग के लिए कोई समझौता नहीं हुआ है। उन्होंने सदस्य देशों से राजनीतिक सीमाओं से उपर उठकर काम करने का अनुरोध किया।