प्रयागराज बना दो महाबलियों के मिलन का साक्षी


प्रयागराज, राजस्थान के भीलवाड़ा से चलकर पहुंचे संकट मोचन और पतित पावनी गंगा, श्यामल यमुना और अन्त: सलिला स्वरूप में प्रवाहित त्रिवेणी किनारे बंधवा स्थित हनुमान मंदिर में विश्राम की मुद्रा में लेटे हनुमत लला का दर्शन दो महबलियों के मिलन का आध्यात्मिक नगरी प्रयागराज साक्षी बना।
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेद्र गिरी ने भीलवाड़ा से यहां पहुंचे विशालकाय रूद्रावतार की प्रतिमा का विधिवत जलाभिषेक किया एवं चंदन-बंदन और पुष्प के साथ वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पूजा अर्चना की ।
इस अवसर पर महंत गिरी ने कहा कि संगम स्थित लेटे हनुमत लला दुनिया में अपने आप में विरले हैं। इनके जैसा कोई दूसरा नहीं है। रूद्रावतार और श्रीराम के दुलारे एवं संगम तट पर लेटे होने के कारण भी इनका अलग ही महत्व है। गंगा मइया साल में स्वयं इनके दरवाजे पर आकर इनके पांव पखारती हैं।
अध्यात्मिक नगरी प्रयागराज में संगम किनारे शक्ति के देवता हनुमत लला का एक अनूठा मन्दिर है। यह पूरी दुनिया मे इकलौता मन्दिर है, जहां बजरंग बलि की लेटी हुई प्रतिमा को पूजा जाता है। पुराणों में भी प्रयागराज में ही लेटे हनुमत लला का विवरण मिलता है। मंदिर के बारे में मान्यता है कि हनमतान जी के बाएं पैर के नीचे कामदा देवी और दाएं पैर के
नीचे अहिरावण दबा हुआ है। दायें हाथ पर श्रीराम और लक्ष्मण एवं बाएं हाथ में गदा सुशोभित है।
मान्यता है कि लेटे संकट मोचन का दर्शन करने से सभी पकार के संकट मिट जाते हैं। शायद लेटे हनुमत लला के आर्शीवाद की तमन्ना के साथ भीलवाड़ा से विशालकाय हनुमान की प्रतिमा को यहां लाया गया। अब भीलवाड़ा के संकट मोचन मन्दिर में इनकी प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी।
भीलवाडा से नौ फरवरी को विशालकाय 54 टन वजनी संकट मोचन की प्रतिमा के साथ यहां पहुंचे हनुमान मंदिर के महंत बाबू गिरी ने बताया कि करीब 2100 किलाेमीटर की दूरी तय कर सुबह गंगा तट पहुंची। प्रयागराज में संकट
मोचन को स्नान कराने का संकल्प लिया गया था, वह आज पूरा हो गया। उन्होने बताया कि प्रतिमा की लम्बाई करीब 28 फिट और चौड़ाई 12 फिट है। इसे बडे ट्राला पर लादकर लाया गया है। इसके साथ एक मजबूत क्रेन भी आया है।
इस प्रतिमा का महत्व यह है कि एक ही शिला को तराश कर तैयार किया गया है। श्री गिरी ने बताया कि स्नान और पूजा-अर्चना कराने के बाद बजरंग बली की प्रतिमा को लेटे हनुमत लला के बगल में श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए
रखा गया है।