राष्ट्रीय महत्व का बनेगा भास्कराचार्य संस्थान

नयी दिल्ली,सरकार ने गुजरात के भास्कराचार्य इंस्टीट्यूट ऑफ स्पेस एप्लिकेशन एंड जियोइंफॉर्मेटिक्स का दर्जा बढाते हुए इसे राष्ट्रीय महत्व का संस्थान बनाने की घोषणा की है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को यहां हुई मंत्रिमंडल की बैठक में इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी दी गयी।
मंत्रिमंडल की बैठक के बाद सूचना प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि इस संस्थान को राष्ट्रीय स्तर का बनाने के साथ ही इसका नाम भी बदला गया है। संस्थान का नाम बदलकर अब भास्कराचार्य नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्पेस एप्लिकेशन और जियो-इंफॉर्मेटिक्स किया गया है।
उन्होंने कहा कि इस संस्थान को राष्ट्रीय स्तर का दर्जा मिलने का लाभ सभी को मिलेगा और 15 मंत्रालयों तथा 19 राज्यों को इसका विशेष तकनीकी फायदा होगा। यह संस्थान गुजरात के गांधीनगर में स्थित में है और राज्य सरकार के तहत काम करता है।
इलेक्ट्रानिक्स तथा सूचना तकनीकी मंत्रालय के तहत संचालित यह संस्थान भूस्थैतिकी से जुड़ी परियोजनाओं के क्रियान्वयन को और विस्तार देगा और इस क्षेत्र में तकनीकी विकास की गतिविधियों को बढ़ाने के लिए शोध तथा विकास और तकनीकी विस्तार में मदद करेगा।श्री तोमर ने बताया कि फसल बीमा योजना के तहत 50 प्रतिशत प्रीमियम केन्द्र सरकार और 50 प्रतिशत राशि राज्य सरकार जमा कराती है । पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए केन्द्र सरकार 90 प्रतिशत और राज्य सरकार 10 प्रतिशत प्रीमियम राशि देगी । अभी तक प्रशासनिक व्यय की राशि स्वीकृत नहीं थी लेकिन अब सरकार ने तीन प्रतिशत राशि इसके लिए स्वीकृत की है ।
कृषि मंत्री ने कहा कि राज्यों को फसल बीमा के लिए एजेंसियों को चुनने का अधिकार होगा लेकिन उन्हें तीन साल के लिए इसका चयन करना अनिवार्य होगा । कुछ राज्य एक साल के लिए एजेंसियों का चयन करती थी जिससे किसानों के भुगतान में परेशानी होती थी । फसलों के क्षतिपूर्ति के आकलन के लिए आधुनिक प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जायेगा ।
उन्होंने कहा कि खरीफ फसलों के लिए राज्यों को प्रीमियम 31 मार्च तक और रबी फसलों के लिए 30 सितम्बर तक जमा करना अनिवार्य होगा । इसके बाद राज्यों को प्रीमियम नहीं जमा करने दिया जायेगा । फसलों का आकलन भी अब दो चरणों में होगा ।श्री तोमर ने कहा कि देश में 10 हजार नये कृषक उत्पादक संगठनों (एफपीओ) का गठन किया जायेगा । वर्ष 2027..28 तक के लिए इन संगठनों को सहायता देने के वास्ते 6866 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है । पहले इस मद में वर्ष 2019..20 से 2023..24 तक के लिए 4496 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था । अब सरकार ने इसके लिए 2370 करोड़ रुपये की अतिरिक्त मंजूरी दी है ।
उन्होंने कहा किसान उत्पादक संगठनों के पूरी तरह से तैयार होने में दो से तीन साल का समय लगता है जिसके कारण अतिरिक्त राशि का प्रावधान किया गया है । उन्होंने कहा कि मैदानी क्षेत्र में एफपीओं के लिए 300 तथा पहाड़ी क्षेत्रों में 100 सदस्य होंगे । समय समय पर इसमें बदलाव किया जा सकेगा । देश के 115 आकांक्षी जिलों में 1500 एफपीओ के गठन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है ।
उन्होंने कहा कि एफपीओ को नाबार्ड 1000 करोड़ रुपये और एनसीडीसी 500 करोड़ रुपये का रिण उपलब्ध करायेगा । सरकार के इन निर्णयों से किसानों की आय दोगुनी की जा सकेगी और कृषि लागत को कम किया जा सकेगा । उन्होंने बताया कि नये एफपीओ के गठन से 1.5 लाख रोजगार के अवसर सृजित होने का अनुमान है ।