नयी दिल्ली भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद और पतंजलि बायो रिसर्च के बीच आधुनिक कृषि तकनीक में सहयोग को लेकर रविवार को यहां सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किये गये।
परिषद के महानिदेशक त्रिलोचन महापात्रा और पतंजलि की ओर से आचार्य बालकृष्ण ने सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किये। इस अवसर पर कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर , कृषि राज्य मंत्री परशोत्तम रुपाला और कैलाश चौधरी , भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के निदेशक अशोक कुमार सिंह , परिषद के उप महानिदेशक कृषि प्रसार ए के सिंह तथा कई वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे ।
इस अवसर पर श्री तोमर ने कहा कि परिषद दशकों से कृषि के क्षेत्र में कार्य कर रहा है और उसने देश में हरित क्रांति को सफल बनाया है। उन्नत प्रौद्योगिकी के विकास, नये नये बीजों की तैयारी और अनुसंधान के मामले में उसे महारत हासिल है ।
उन्होंने कहा कि योग गुरु बाबा रामदेव की प्रेरणा से पतंजलि स्वदेसी के क्षेत्र में भारी योगदान कर रहा है। एक समय देश में दैनिक उपयोग की वस्तुएं स्वदेशी नहीं थी लेकिन पतंजलि के प्रयास से यह कमी दूर की गयी है। कृषि क्षेत्र में बड़े पैमाने पर प्रशिक्षण, नये तकनीक, फसलों के विविधिकरण, रासायनिक उर्वरकों के कम प्रयोग और लागत कम करने की जरुरत है । श्री तोमर ने कहा कि जैविक उत्पाद की दुनिया में भारी मांग है और पतंजलि ने इस क्षेत्र में अनेक बेहतर कार्य किये हैं। दोनों संस्थानों के मिलकर कार्य करने से तेजी से अनुसंधान हो सकेगा तथा इससे किसानों की आय दोगुनी की जा सकेगी । दोनों संस्थान एक दूसरे के पूरक होंगे।
डा महापात्रा ने कहा कि दोनों संस्थान मिलकर कार्य करेंगे तो इससे किसानों को अधिक फायदा मिलेगा । परिषद ने जैविक खेती की 51 पद्धति विकसित की है और समेकित कृषि के 50 माडल बनाये गये हैं । जैव संवर्धित 52 धान की किस्में तैयार की गयी है जो कुपोषण को दइूर करने में प्रभावी भूमिका निभायेगा । उन्होंने कहा कि इस समझौते से उद्मिता और कौशल विकास को बढावा मिलेगा।
उन्होंने कहा कि समझौते के बाद अब कार्यबल का गठन किया जायेगा । पतंजलि ने दावा किया है कि उसके साथ दस हजार किसान जुड़े हैं जिन्हें इस समझौते से लाभ होगा । तकनीकों को प्रयोगशाला से जमीन तक ले जाया जायेगा।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद और पतंजलि में समझौता